
राजस्थान सरकार के पूरे मंत्रिमंडल के गुजरात प्रशिक्षण दौरे पर विपक्ष ने तीखा हमला बोला है। सोमवार को जयपुर एयरपोर्ट पर मीडिया से बातचीत करते हुए विपक्ष के वरिष्ठ नेता पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य सरकार की गैरहाजिरी पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि जब प्रदेश गंभीर समस्याओं से जूझ रहा है, तब मुख्यमंत्री, दोनों डिप्टी सीएम और तमाम विधायक गुजरात चले गए हैं।
अशोक गहलोत ने कहा कि पूरा राजस्थान खाली कर दिया गया है। प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति चिंताजनक है। हत्याएं हो रही हैं, आत्महत्याओं के मामले बढ़ रहे हैं, एफआईआर दर्ज नहीं की जा रही हैं। ऐसे में जब जनता समस्याओं से जूझ रही है, पूरी सरकार ट्रेनिंग लेने में व्यस्त है। वहीं भ्रष्टाचार के मुद्दे पर बोलते हुए अशोक गहलोत ने कहा कि राज्य में भ्रष्टाचार अपने चरम पर है।
अगर 10 करोड़ की रिश्वत की पेशकश की जा रही है, तो समझिए कितना बड़ा अवैध खनन हो रहा होगा। सरकार को राजस्व का कितना नुकसान हो रहा है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है। उन्होंने आगे कहा कि डेढ़ साल सरकार को हो चुके हैं और अब जाकर प्रशिक्षण लेने की बात की जा रही है। इसका सीधा मतलब यह है कि सरकार अब तक कुछ नहीं कर पाई और अब ट्रेनिंग का सहारा ले रही है।
मेरी आलोचना में सलाह भी होती है
गहलोत ने कहा कि उनकी आलोचना सिर्फ विरोध के लिए नहीं होती। मेरे अनुभव के आधार पर मैं जो कहता हूं, उसमें सलाह भी होती है। सत्ता पक्ष हो या विपक्ष, मैं जब बात करता हूं तो जिम्मेदारी से करता हूं। मुख्यमंत्री की ओर से गहलोत की मानसिक स्थिति पर की गई टिप्पणी पर उन्होंने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मेरा मानसिक संतुलन बिल्कुल ठीक है। गांधी जी ने कहा था कि वे 125 साल जीना चाहते हैं देश सेवा के लिए, मैं कहता हूं कि मैं 100 साल जिंदा रहना चाहता हूं ताकि राजस्थान के लोगों की सेवा कर सकूं।
मॉक ड्रिल और सुरक्षा मामलों पर रुख
गृह मंत्रालय की मॉक ड्रिल एडवाइजरी और सरकार की गैरहाजिरी पर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है और विपक्ष पहले ही कह चुका है कि वह सरकार के साथ है। ऐसे निर्णय जल्दबाजी में नहीं होते, इन्हें सोच-समझ कर लेना चाहिए। प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री को पूरी छूट होनी चाहिए।