
पाकिस्तान कितनी भी कोशिश कर ले… भारत के हाथों उसे बुरी तरह हार मिलना तय है। जैसे 1947-48, 1965, 1971 और करगिल में पाकिस्तान को हारकर शर्मिंदा होना पड़ा था वैसे ही इस बार भारतीय सेना उसे फिर से मजा चखाने को तैयार है। बीते 3 दिनों से पाकिस्तान ने राजस्थान से लगी सीमा पर लगातार ड्रोन और मिसाइल हमले किए हैं लेकिन उसके सभी हमले हमारी सेना ने विफल कर दिए। रणबांकुरों की यह धरती अपने शौर्य के लिए जानी जाती है।
पूर्व सैनिक कान सिंह बताते हैं कि वे 1971 की लड़ाई में हिंदुस्तान की उस 10 पैरा स्पेशल फोर्स की एक टुकड़ी का हिस्सा रहे हैं, जिसने पाकिस्तान को घुटनों पर ला दिया था। कान सिंह ने बताया कि 1971 की लड़ाई में राजस्थान और पाकिस्तान के बीच बॉर्डर खुला हुआ था, आमने-सामने की लड़ाई थी। यहां से जयपुर के पूर्व महाराजा ब्रिगेडियर भवानी सिंह के कमांड में 10 पैरा एसएफ के विशेष बल की 45 लोगों की एक टुकड़ी ने मात्र 4 घंटे में पाकिस्तान के 75 किलोमीटर अंदर घुसकर छाछरो पर कब्जा कर लिया था।
वे बताते हैं कि मैं उस 10 पैरा एसएफ की विशेष टुकड़ी का हिस्सा था, जिसने 1971 की जंग में पाकिस्तान को घुटनों पर ला दिया था। हमने जैसलमेर के चोहटन से पाकिस्तान पर चढ़ाई शुरू की। मात्र 45 विशेष सैनिकों की टुकड़ी थी। उस वक्त हमारे पास जोंगा जीपें थीं। एक-एक जीप में 2-2 स्पेशल फोर्स के सिपाही बैठे थे। मात्र चार घंटों में ही हमने छाछरो से कच्छ तक का एरिया खाली करवा लिया। पाकिस्तान के सैनिक अपनी पोस्ट छोड़-छोड़कर भाग गए।
आज भी 48 घंटे नहीं टिक सकता पाकिस्तान
कान सिंह ने बताया कि आज अगर भारत और पाकिस्तान के बीच फुल स्केल वॉर हो जाता है तो पाकिस्तान 48 घंटे में ही यह जंग हार जाएगा। उन्होंने कहा कि पहले के मुकाबले भारत की स्थिति अब और भी ज्यादा मजबूत हो गई है।
आज भी फ्रंट पर जाने को तैयार
उन्होंने कहा कि मैं अपने देश की सरकार और सेना से अपील करता हूं कि जब भी उन्हें हमारी जरूरत हो हम खुशी से उनके साथ लड़ने को तैयार हैं। बोले कि 1971 की जंग में स्थानीय लोगों ने सेना की बहुत मदद की थी और आज भी वे कंधे से कंधा मिलाकर लड़ने को तैयार हैं।