उत्तरप्रदेशराज्य

यूपी में बिजली का निजीकरण: आयोग पहुंचे कॉर्पोरेशन प्रबंधन और उपभोक्ता परिषद

पूर्वांचल और दक्षिणांचल के निजीकरण को लेकर जोर आजमाइश तेज हो गई है। बृहस्पतिवार को काॅर्पोरेशन प्रबंधन नियामक आयोग पहुंचा। प्रबंधन के अफसर आयोग के समक्ष निजीकरण से जुड़े प्रस्ताव पर चर्चा करना चाह रहे थे। इसकी भनक लगते ही उपभोक्ता परिषद भी आयोग पहुंच गया और लोक महत्व प्रस्ताव दाखिल कर निजीकरण को कॉरपोरेट घरानों को फायदा पहुंचाने के लिए घोटाला करने की कोशिश करार दिया।

विद्युत नियामक आयोग में बृहस्पतिवार को पाॅवर कार्पोरेशन के अध्यक्ष डाॅ. आशीष कुमार गोयल के साथ प्रबंधन से जुड़े तमाम अधिकारी और ट्रांजेक्शन एडवाइजर कंपनी के सदस्य पहुंचे। काॅर्पोरेशन प्रबंधन के अधिकारियों ने विद्युत नियामक आयोग अध्यक्ष अरविंद कुमार व सदस्य संजय कुमार सिंह के साथ बैठक की। सूत्रों के मुताबिक काॅर्पोरेशन प्रबंधन के अधिकारियों ने आयोग के साथ निजीकरण के मसौदे पर चर्चा की। अब तक तैयार किए गए प्रस्तावों से वाकिफ कराया। यह भी बताया कि निजीकरण की जरूरत क्यों है? हालांकि प्रबंधन के अफसरों ने इस बैठक को पूरी तरह से औपचारिक करार दिया है।

काॅर्पोरेशन प्रबंधन के अफसरों के नियामक आयोग पहुंचने की सूचना मिलते ही राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा भी वहां पहुंच गए। उन्होंने आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार सिंह और सदस्य संजय सिंह से मुलाकात की। लोक महत्व प्रस्ताव दाखिल करते हुए आरोप लगाया कि काॅर्पोरेशन प्रबंधन जिस टीए कंपनी से निजीकरण का प्रस्ताव तैयार करा रहा है, वह अमेरिका में जुर्माने की दोषी है और उसे असांविधानिक तरीके से टीए नियुक्त किया गया है। ऐसे में उसके प्रस्ताव पर सुनवाई नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि प्रबंधन का मसौदा है कि पूर्वांचल वह दक्षिणांचल को समाप्त करके पांच नई कंपनियां बनाई जाएं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इन दोनों कंपनियों की इक्विटी शेयर कैपिटल को कम आंका गया है।

6000 से 7000 इक्विटी शेयर कैपिटल मानकर दोनों बिजली कंपनियों में प्रस्तावित पांच नई बिजली कंपनियां की कुल रिजर्व बिड प्राइस को दो हजार करोड़ से नीचे रखा गया है। ताकि आसानी से काॅर्पोरेशन प्रबंधन की मनचाही कंपनियों को टेंडर प्रक्रिया में हिस्सा लेने का मौका मिल जाए। उन्होंने यह भी बताया कि बैलेंस शीट में स्पष्ट है कि दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम की इक्विटी शेयर कैपिटल 25862 करोड़ और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम की इक्विटी शेयर कैपिटल 28024 करोड़ है। दोनों की इक्विटी शेयर कैपिटल 53886 करोड़ है। आरोप लगाया कि इस तरह बिजली कंपनियों की इक्विटी शेयर कैपिटल में घोटाला किया जा रहा है। इसकी जांच कराई जाए। क्योंकि नियामक आयोग के अनुमोदन से ही करीब 44 हजार करोड़़ रुपये का आरडीएसएस योजना में भी कार्य चल रहा है। इसके बाद भी बिजली कंपनियों की शेयर कैपिटल को कम आंका जाना घोटाले की आशंका को बल देता है। इसलिए पूरे मामले की जांच कराई जाए।

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