14 साल के Vaibhav Suryavanshi की सफलता का खुला राज, पिता ने बताया कौन रहा पर्दे के पीछे का असली हीरो

मात्र 14 साल की उम्र में अपनी बल्लेबाजी से बड़ा नाम कमा चुके वैभव सूर्यवंशी के पिता संजीव सूर्यवंशी का कहना है कि बेटे को क्रिकेट सिखाने के लिए उन्हें अपना बिजनेस तक बंद करना पड़ा।
अब जब बेटा सफलता को छू रहा तो उनकी मेहनत सफल हुई और उन्हें गर्व की अनुभूति होती है। उन्होंने कहा कि बिहार क्रिकेट संघ के अध्यक्ष राकेश तिवारी के भगीरथ प्रयास से बिहार क्रिकेट का वैभव बढ़ रहा है। सूरज सूर्यवंशी के साथ अभिषेक त्रिपाठी ने विशेष बातचीत की।
सवाल- वैभव सूर्यवंशी (Vaibhav Suryavanshi) का क्रिकेट का सफर कैसे शुरू हुआ। क्या शुरुआत में कुछ दिक्कतें आईं ?
वैभव के पिता- वैभव के क्रिकेट खेलने की शुरुआत पांच साल की उम्र में हुई। घर पर ही उसने पहली बार क्रिकेट खेलना शुरू किया और मैंने इसके लिए घर में ही नेट्स लगवाए। करीब दो साल बाद उसे समस्तीपुर बृजेश झा की अकादमी में भेजा। वहां दो साल खेलने के बाद उसे पटना की जेनएक्स क्रिकेट अकादमी में भेजा। वहां उसने कोच मनीष ओझा और सहायक कोच राबिन की देखरेख में क्रिकेट को निखारा। मैं सप्ताह में तीन दिन उसे पटना लेकर जाता था।
सवाल- एक समय था जब बिहार क्रिकेट संघ को बीसीसीआई से मान्यता प्राप्त नहीं थी लेकिन अब बीसीए का काफी नाम हो रहा है?
वैभव के पिता- बिहार क्रिकेट संघ (बीसीए) को 2018 में मान्यता मिल गई थी और 2019 में पहली बार संघ के अध्यक्ष राकेश तिवारी सर ने हमें बुलाया और अंडर 16 का ट्रायल दिलाया। तब वैभव की उम्र काफी कम थी तो उसे स्टैंडबाई में रखा था लेकिन वैभव ने घरेलू मैच काफी खेले। सीनियर स्तर पर हेमंत ट्राफी में 11 साल की उम्र में उसने काफी रन बनाए।
अंडर-16 में उसने दोहरा शतक भी लगाया। वैभव के प्रदर्शन से प्रभावित होकर राकेश तिवारी ने अंडर-19 टीम में अवसर दिया। इसके बाद बिहार के सभी फार्मेट में वैभव खेला और काफी रन बनाए। वैभव की सफलता में राकेश तिवारी (BCA President Rakesh Tiwari) का बहुत बड़ा योगदान है क्योंकि अब बिहार क्रिकेट संघ काफी घरेलू टूर्नामेंट करा रहा है, जिससे न सिर्फ वैभव बल्कि कई और खिलाड़ियों को मौका मिला है।
सवाल- बहुत सारे क्रिकेट संघ कम उम्र के खिलाड़ी को बाद में मौका देने की बात कहते हैं। ऐसे में बीसीए से कितनी मदद मिली?
वैभव के पिता- अगर उम्र का हवाला देखकर रखा जाता तो वैभव भी अभी जिला और राज्य स्तर पर ही खेल रहा होता लेकिन बीसीए ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उसे मौका दिया। अगर उसे मौका नहीं मिलता तो उसकी प्रतिभा को मंच नहीं मिलता। उन्होंने विश्वास जताया और वैभव उस पर खरा उतरा।
सवाल- आईपीएल में रन बनाने के बाद जब वैभव की चर्चा पूरे भारत में होती है तो कैसा लगता है?
वैभव के पिता- हर पिता के लिए गर्व की बात है कि उसे बेटे के नाम से जाना जाता है। मैं अब कहीं भी जाता हूं तो काफी सम्मान मिलता है। लोग मिलने भी आते हैं। हमारे लिए तो यह सपने के सच होने जैसा है। इतनी कम उम्र में आइपीएल में रन बनाना बहुत गर्व की बात है। मैं राहुल द्रविड़ सर, जुबिन भरूचा सर और राजस्थान रायल्स के बल्लेबाजी कोच विक्रम राठौर का धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने मेरे बेटे (Vaibhav Suryavanshi) पर विश्वास जताया। सभी इसका खेल देखकर बहुत प्रसन्न थे। इसी बहाने बिहार का पूरी दुनिया में नाम हो रहा है।
सवाल- एक समय था जब बिहार में क्रिकेट संघ नहीं था। राज्य के क्रिकेटरों को दूसरे राज्य जाकर खेलना पड़ता था। वैभव के आने के बाद हर जगह बीसीए की बात होती है। आप एक पिता के तौर पर, बिहारी के तौर पर कैसा महसूस करते हैं?
वैभव के पिता- पिता होने के नाते गर्व की अनुभूति होती है। बिहारी होने के नाते भी गर्व होता है क्योंकि अब बिहार क्रिकेट संघ काफी अच्छा कर रहा है। कई बड़े टूर्नामेंट यहां हो रहे हैं और अब क्रिकेटरों को दूसरे राज्य जाने की जरूरत नहीं होती। अब जो इन टूर्नामेंट में अच्छा खेलते हैं, उन्हें मौका मिलता है। जो अच्छा खिलाड़ी है, उसके लिए यहां बहुत अवसर है। मुझे नहीं लगता कि अब कोई बिहार या बंगाल जाएगा, जैसे इशान किशन झारखंड चले गए, मुकेश कुमार बंगाल चले गए। अनुकूल राय, आकाश दीप जैसे बहुत से क्रिकेटर रहे। अब कोई ऐसा खिलाड़ी नहीं होगा कि जो कहेगा कि हमें यहां अवसर नहीं मिल रहा है।
सवाल- कई बार बहुत आरोप लगते हैं कि बिहार में खिलाने के लिए पैसे मांगे जाते हैं, क्या आपके साथ ऐसा हुआ है?
वैभव के पिता- नहीं, हमारे साथ कभी नहीं हुआ। वैभव अंडर-16, अंडर-19 और रणजी भी खेला, लेकिन कभी एक रुपया नहीं मांगा गया। वह अच्छा खेला और उसे मौका मिला।
सवाल- जब बच्चे आगे बढ़ते हैं तो उसको संभालना माता पिता का काम होता है। क्या इसको लेकर डर लगता है?
वैभव के पिता- जब इतनी कम उम्र में ख्याति मिलती है तो उसे संभालना जरूरी होता है। मैं थोड़ा सशंकित तो रहता हूं, लेकिन वैभव इस बात को समझता है। वह जानता है कि यह तो अभी शुरुआत है, उसे अभी देश के लिए खेलना है।
सवाल- क्या वैभव अब भी लिट्टी चोखा खाता है?
वैभव के पिता- नहीं, अब नहीं खाता। अब बहुत संयमित डाइट लेता है। जिम जाता है। वजन बहुत बढ़ गया था, उसे कम करना है।
सवाल- जब वैभव और आपसे प्रधानमंत्री मोदी मिले तो क्या कहा ?
वप्रधानमंत्री जी के साथ सामान्य बातें ही हुई थीं। उन्होंने बस इतना ही कहा कि बहुत कम उम्र में बच्चे ने नाम कमाया है। इसके बारे में सुना तो हमें लगा कि कौन बच्चा है। मैं इसकी बल्लेबाजी देखी, बहुत बेखौफ होकर खेलता है। ये ऐसे ही खेलता जाए और एक दिन भारत को अपने खेल से शिखर पर ले जाए। मुझे पूर्ण विश्वास है कि ख्याति के बाद भी इसका ध्यान नहीं भटकेगा।
सवाल- वैभव की उम्र को लेकर सवाल उठाए जाते हैं। इस बारे में आप क्या कहेंगे?
वैभव के पिता- दो साल पहले जब वैभव हेमंत ट्राफी खेला था तो उसकी तस्वीरें आप देख सकते हो। दो साल पहले भी जब वह चंडीगढ़ जा रहा था तो बहुत छोटा था। उसका कद एकाएक बढ़ा। लोगों का क्या है, उनका काम तो कहना है। बीसीसीआई 2019 में इसका बोन टेस्ट करा चुका है। अब आगे वह खेलेगा तो एक बार और टेस्ट हो जाएगा, असलियत सामने आ जाएगी। कई ऐसे बच्चे होते हैं जो उम्र से ज्यादा लगते हैं। आप उससे बात करेंगे तो लगेगा कि एक बच्चे से ही बात कर रहे हैं।
सवाल- ऐसी कोई बात जो राहुल द्रविड़ या किसी ने आपसे कही हो?
वैभव के पिता- राहुल सर ने यही बोला था कि अब आपका काम खत्म है। अब ये हमारी जिम्मेदारी है। हम इसका ध्यान रखेंगे। अब ये हमारे परिवार का हिस्सा हो गया है। बस आप इस चीज का ध्यान रखें कि यह मोबाइल और इंटरनेट मीडिया से थोड़ा दूर रहे। हम इसे देश के लिए खेलने वाला खिलाड़ी बना देंगे।