NATO Summit : अमेरिका की सख्ती से टूटेगा गठबंधन या और मजबूत होगा पश्चिमी मोर्चा? दांव पर नाटो की साख

दुनिया की सबसे बड़ी सुरक्षा संस्था नाटो एक बार फिर उस मोड़ पर आ खड़ी हुई है, जहां या तो सदस्य देशों की एकता इतिहास रचेगी या फिर आपसी मतभेदों की खाई और गहरी होगी। नीदरलैंड्स के हेग में हो रहा नाटो समिट इस बार ऐतिहासिक बन सकता है, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सख्त शर्तों और तीखे तेवरों ने इसे और विवादित बना दिया है। ऐसे में सवाल है कि क्या नाटो में मतभेद गहराएंगे या अमेरिका की आक्रामक नीति से पश्चिमी मोर्चा और मजबूत होगा।
दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने नाटो सदस्य देशों से अपनी जीडीपी का कम से कम पांच फीसदी रक्षा पर खर्च करने की मांग रखी है। लेकिन स्पेन ने इसे ‘अवास्तविक’ बताते हुए खारिज कर दिया। इसके बाद ट्रंप ने स्पेन और कनाडा दोनों पर खुलकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि स्पेन बहुत कम खर्च करता है, नाटो को इससे निपटना होगा। इससे समिट की शुरुआत से पहले ही विवाद का माहौल बन गया। सिर्फ स्पेन ही नहीं कनाडा को भी चेतावनी दे चुके हैं।
यूक्रेन की भूमिका पर भी मतभेद
यूरोपीय देश और कनाडा चाहते हैं कि यूक्रेन के मुद्दे को नाटो समिट में प्रमुखता से रखा जाए। लेकिन ट्रंप इसके पक्ष में नहीं दिखते। माना जा रहा है कि वह नहीं चाहते कि यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की समिट की सुर्खियां बटोरें। इस मुद्दे पर भी सदस्य देशों में असहमति नजर आ रही है।
इतना ही एक कारण ये भी बताया जा रहा है कि ट्रंप उधर पुतिन से भी लगातार बात करते रहे हैं, कई बार कुछ समय के लिए सीजफायर का एलान भी हुआ है। इससे साफ-साफ ट्रंप समझ चुके हैं कि अगर यूक्रेन को नाटो देशों में शामिल किया गया तो रूस-यूक्रेन की जंग और भड़क सकती है।
ईरान पर अमेरिका की कार्रवाई ने माहौल गरमाया
नाटो समिट से ठीक पहले अमेरिका ने ईरान की परमाणु ठिकानों पर बमबारी का आदेश देकर पूरी दुनिया में हलचल मचा दी। 2003 में जब अमेरिका ने इराक पर हमला किया था, तब भी नाटो में फ्रांस-जर्मनी बनाम ब्रिटेन-स्पेन जैसा गहरा विभाजन देखने को मिला था। ऐसे में एक बार फिर इतिहास दोहराए जाने की आशंका जताई जा रही है।
सुरक्षा गारंटी पर ट्रंप के बयान से बढ़ी आशंका
नाटो की सबसे बड़ी ताकत उसकी सामूहिक सुरक्षा गारंटी यानी आर्टिकल-5 है। लेकिन ट्रंप के हालिया बयान ने इस पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि आर्टिकल-5 की कई परिभाषाएं हैं। लेकिन मैं उनका दोस्त हूं और जीवन-सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हूं। इससे यह चिंता और बढ़ गई है कि अमेरिका पूरी मजबूती से नाटो के साथ खड़ा रहेगा या नहीं।
क्यों टूट सकता है नाटो?
ट्रंप की 5 फीसदी रक्षा खर्च की मांग पर यूरोपीय देशों का विरोध।
अमेरिका का यूक्रेन मुद्दे को नजरअंदाज करना।
ट्रंप के बयानों से सुरक्षा गारंटी पर अनिश्चितता।
अमेरिका द्वारा सहयोगियों पर आयात शुल्क लगाने की धमकी।
ईरान पर अमेरिका की एकतरफा कार्रवाई से नाटो के भीतर तनाव।
क्यों मजबूत हो सकता है पश्चिमी मोर्चा?
रूस की आक्रामकता से डरे फिनलैंड और स्वीडन ने नाटो जॉइन किया।
नई सैन्य योजना के तहत 30 दिन में तीन लाख सैनिक तैनात करने की तैयारी।
यूरोपीय देशों ने रक्षा बजट में बड़ा इजाफा किया।
नाटो के 75 साल पूरे, सामूहिक सुरक्षा भावना को नया जोश।
पश्चिमी देशों के बीच बढ़ती हथियार सप्लाई और यूक्रेन में संयुक्त प्रशिक्षण।
नाटो समिट 2025 इस मोड़ पर है, जहां ट्रंप की सख्ती से गठबंधन की दरारें खुल सकती हैं, लेकिन रूस और ईरान जैसी चुनौतियां सदस्य देशों को मजबूती से साथ आने पर भी मजबूर कर सकती हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि यूरोप और अमेरिका के रिश्तों में दूरी बढ़ती है या नाटो पहले से ज्यादा एकजुट होकर उभरता है।