सीएम फडणवीस ने मुंबईकरों को दी घर न बेचने की सलाह

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने ऐतिहासिक महत्व की 105 वर्ष पुरानी बीडीडी चालों की पुनर्विकास श्रृंखला के प्रथम चरण में निर्मित कुछ इमारतों के 556 फ्लैटों की चाभियां उनके मालिकों को सौंपते हुए मुंबईकरों (मुंबई के मूल निवासियों) को अपने घर न बेचने की सलाह दी है। इस अवसर पर दोनों उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजीत पवार भी उनके साथ थे।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने ऐतिहासिक महत्व की 105 वर्ष पुरानी बीडीडी चालों की पुनर्विकास श्रृंखला के प्रथम चरण में निर्मित कुछ इमारतों के 556 फ्लैटों की चाभियां उनके मालिकों को सौंपते हुए मुंबईकरों (मुंबई के मूल निवासियों) को अपने घर न बेचने की सलाह दी है।
मुंबई में अब घरों की कीमत सोने जैसी हो गई है- फडणवीस
इस अवसर पर दोनों उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजीत पवार भी उनके साथ थे। फडणवीस ने कहा कि मुंबई में अब घरों की कीमत सोने जैसी हो गई है। इसलिए, इन्हें मत बेचो।
कहा- ये घर अपनी अगली पीढ़ी को देना है
यह ध्यान में रखो कि ये घर अपनी अगली पीढ़ी को देना है और इन घरों के बाहर प्यारी बहनों का भी नाम लगाओ। शिवसेना (यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे अक्सर भाजपा पर मुंबई को मराठियों से छीनने का आरोप लगाते रहते हैं।
हम असली मुंबईकरों को मुंबई में वापस लाने जा रहे हैं- फडणवीस
गुरुवार को इन घरों की चाभियां सौंपते हुए फडणवीस और एकनाथ शिंदे दोनों ने कहा कि हम असली मुंबईकरों को मुंबई में वापस लाने जा रहे हैं। मैंने कहा था कि ऐसा काम करना है कि कोई गाली न दे। इसलिए बीडीडी चालों के पुनर्विकास के लिए हमने ग्लोबल टेंडर आमंत्रित किया था। आज टाटा, एलएनटी और शापुरजी पालोनजी यह काम कर रहे हैं।
गौरतलब है कि फडणवीस ने 2014 में ही मुख्यमंत्री बनने के बाद करीब 100 वर्ष पुरानी बीडीडी चालों के पुनर्निर्माण का काम शुरू कर दिया था। बीच में कुछ वर्ष महाविकास आघाड़ी का शासन रहने के दौरान काम में रुकावट आई।
अब बीडीडी चालों के स्थान पर 40 मंजिला 33 इमारतें खड़ी करने की शुरुआत हो गई है। इन इमारतों के निवासियों को आधुनिक बुनियादी ढांचे के साथ 500 वर्ग फुट कार्पेट क्षेत्र के घर प्रदान किए जाएंगे।
ऐतिहासिक महत्व है बीडीडी चॉल का
देश की आजादी से पहले 1920 में अंग्रेज सरकार ने मुंबई के चार क्षेत्रों वर्ली, नायगांव, शिवड़ी एवं एनएम जोशी मार्ग (परेल) में 160 वर्ग फुट के कमरे वाली बहुमंजिला चालों का निर्माण कराया था। इन चॉलों का निर्माण बांबे डेवलपमेंट डिपार्टमेंट (बीडीडी) द्वारा किया गया था।
इन चॉलों को बनाने का मुख्य उद्देश्य मिल मजदूरों, सरकारी कर्मचारियों एवं अन्य निम्न आय वर्गों के लोगों को किफायती आवास प्रदान करना था। बाद में यही मॉडल मुंबई में ‘खड़ी चाल’ के नाम से जाना जाने लगा एवं कई और क्षेत्रों में भी ऐसी ही चालें बनाई गईं।
ज्यादातर बीडीडी चालें दक्षिण-मध्य मुंबई में स्थित हैं, क्योंकि उस दौरान मुंबई का अधिक कामकाज इसी क्षेत्र में होता था। एक बार महात्मा गांधी भी आकर एक रात इस चाल के लोगों के बीच रहे थे। डॉ. भीमराव आंबेडकर भी इन चॉलों में अक्सर आया करते थे।
बीडीडी चॉलें नेताओं के आकर्षण का केंद्र रहीं
बीडीडी चॉलें नेताओं के आकर्षण का केंद्र इसलिए रहीं, क्योंकि यहां रहने वाले लोग बड़ी संख्या में उन्हें सुनने के लिए उपलब्ध हो जाते थे और उन्हें अपना आंदोलन आगे बढ़ाने में मदद मिलती थी।