
पिछले वर्षों की तुलना में मलेरिया के मामलों में बढ़ोतरी हुई है, जबकि डेंगू और चिकनगुनिया भी लगातार चिंता का विषय बने हुए हैं। एमसीडी की सघन कार्रवाई के बावजूद 1.26 लाख से अधिक घरों में मच्छरों का प्रजनन मिल चुका है।
राजधानी में हर साल बरसात के मौसम के साथ डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसी मच्छर जनित बीमारियां स्वास्थ्य के लिए बड़ा संकट बनकर उभरती हैं। मच्छर दिवस के मौके पर एक बार फिर यह सवाल जोर पकड़ रहा है कि आखिर एमसीडी की तमाम कोशिशें, करोड़ों रुपये के बजट और बार-बार किए गए दावों के बावजूद हालात क्यों नहीं सुधर रहे? इस साल अब तक 354 डेंगू, 165 मलेरिया और 27 चिकनगुनिया के मामले दर्ज किए जा चुके हैं।
पिछले वर्षों की तुलना में मलेरिया के मामलों में बढ़ोतरी हुई है, जबकि डेंगू और चिकनगुनिया भी लगातार चिंता का विषय बने हुए हैं। एमसीडी की सघन कार्रवाई के बावजूद 1.26 लाख से अधिक घरों में मच्छरों का प्रजनन मिल चुका है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली में जलभराव, गंदगी और नालों की सफाई में लापरवाही इन बीमारियों के प्रसार को और आसान बना देती है।
एमसीडी का कहना है कि मच्छरों के प्रजनन को रोकने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाए जा रहे हैं। वहीं 7.87 लाख से अधिक घरों में स्प्रे किया गया जा चुका है। नालों और जलभराव वाले स्थलों पर लार्वीसाइड छिड़का जा रहा है। इसके अलावा 282 स्थानों पर लार्वा खाने वाली मछलियां छोड़ी गईं। निर्माण स्थलों, अस्पतालों, स्कूलों और पार्कों में विशेष अभियान चलाए गए। जागरूकता के लिए आरडब्ल्यूए मीटिंग, स्कूल रैलियां, पोस्टर-बैनर, 1,533 ऑटो टिप्परों से प्रचार और व्हाट्सएप ग्रुप बनाए गए। जून-जुलाई को एंटी-डेंगू, एंटी-मलेरिया माह घोषित किया गया।
एमसीडी ने अगस्त-सितंबर में दूसरी बार इनडोर रेजिडुअल स्प्रे, रेलवे ट्रैक के किनारे मच्छर टर्मिनेटर ट्रेन से छिड़काव, त्योहारों व धार्मिक स्थलों पर विशेष फॉगिंग, एफएम रेडियो पर महापौर व स्थायी समिति अध्यक्ष की आवाज में संदेश दिया जाएगा। एमसीडी का कहना है कि नियम तोड़ने वालों पर सख्ती बरती जा रही है। उनको नोटिस और चालान जारी किए जा रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह कार्रवाई ज्यादातर दिखावटी है।