
पिछले महीने उत्तरकाशी जिले में गदेरों से आए मलबे के कारण पहले हर्षिल में भागीरथी और फिर स्यानाचट्टी में यमुना नदी में कृत्रिम झील बनी। इन झीलों से पानी की निकासी कराना चुनौती रहा था। आईआईटी रुड़की ने अध्ययन किया है, वह भी बताता है कि अगस्त में भूस्खलन बांध (मोरेन डैम) अधिक बने हैं।
आईआईटी रुड़की के आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र की शिवानी जोशी और श्रीकृष्णन शिव सुब्रमण्यम ने उत्तराखंड भूस्खलन बांध अध्ययन अतीत, वर्तमान और भविष्य विषय को लेकर अध्ययन किया। यह अध्ययन स्प्रिंगर जर्नल में इसी वर्ष जनवरी में प्रकाशित हुआ है।
अध्ययन में 1857 से 2018 तक उत्तराखंड में भूस्खलन के कारण बने भूस्खलन बांध (झीलों) का जिक्र किया गया है। इसमें किस नदी पर बांध बना, किस कारण बना, जिला, बांध बनने का कारण मसलन बारिश, कितनी अवधि तक के लिए बना, उसका भी उल्लेख किया गया है।
इसमें बताया गया है कि अगस्त के महीने में यह घटना सबसे अधिक हुई। इसके अलावा शोध में मलबा आने का कारण से लेकर किस नदी पर सबसे अधिक भूस्खलन बांध बने (अलकनंदा, मंंदाकिनी आदि) उसे भी बताया गया। रिसर्च में बताया गया है कि भूस्खलन बांध बनने की घटनाएं चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जिले में अधिक हुई हैं। इसके अलावा प्राकृतिक खतरे के कारणों को भी बताया गया र्है।