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बारापुला फेज-तीन कॉरिडोर के लिए पेड़ काटने और प्रत्यारोपण की मिली मंजूरी

लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) मंत्री प्रवेश साहिब सिंह ने घोषणा की कि अगले एक साल में यह कॉरिडोर पूरा कर जनता के लिए खोल दिया जाएगा। इससे पूर्वी दिल्ली के मयूर विहार फेज-एक से दक्षिणी दिल्ली के आईएनए तक का सफर सिग्नल फ्री हो जाएगा।

एक दशक से अटका बारापुला फेज-तीन कॉरिडोर का काम आखिरकार अब पूरा होगा। केंद्रीय सशक्त समिति (सीइसी) ने परियोजना के लिए पेड़ों को काटने और प्रत्यारोपण की मंजूरी दे दी है। इसके बाद 333 पेड़ों में से 85 पेड़े काटे जाएंगे और बाकी का प्रत्यारोपण होगा। लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) मंत्री प्रवेश साहिब सिंह ने घोषणा की कि अगले एक साल में यह कॉरिडोर पूरा कर जनता के लिए खोल दिया जाएगा। इससे पूर्वी दिल्ली के मयूर विहार फेज-एक से दक्षिणी दिल्ली के आईएनए तक का सफर सिग्नल फ्री हो जाएगा।

बारापुला कॉरिडोर के फेज-1 और फेज-2 पहले ही पूरे हो चुके हैं। तीसरे चरण में सराय काले खां को मयूर विहार फेज-1 से जोड़ने की योजना 2014 में मंजूर हुई थी और अप्रैल 2015 में निर्माण कार्य शुरू हुआ। पर्यावरण संबंधी अड़चनों और पेड़ों की कटाई-स्थानांतरण के लिए अनुमति न मिलने से यह परियोजना लगभग दस साल से ठप पड़ा था। अब सीईसी की मंजूरी के बाद इस पर तेजी से काम शुरू किया जाएगा। परियोजना की लागत भी समय के साथ बढ़ी है। शुरुआती अनुमान 964 करोड़ रुपये का था, लेकिन अब यह बढ़कर करीब 1330 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।

करीब 3.5 किलोमीटर लंबे इस एलिवेटेड कॉरिडोर को पर्यावरणीय सुरक्षा के साथ डिजाइन किया गया है। यमुना के सक्रिय प्रवाह क्षेत्र में कम से कम पिलर लगाने के लिए पियर-सपोर्टेड संरचना और एक्स्ट्राडोब्रिज तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। कॉरिडोर में दोनों ओर तीन-तीन लेन होंगी। साथ ही आठ लूप बनाए जा रहे हैं, जिनमें चार सराय काले खां और चार मयूर विहार पर होंगे। इसके अलावा पैदल यात्रियों और साइकिल सवारों के लिए अलग ट्रैक और फुटपाथ बनाए जाएंगे।

333 पेड़ों में से 85 काटे जाएंगे
सीईसी के निर्देश पर पीडब्ल्यूडी और वन विभाग ने संयुक्त सर्वे कर पेड़ों का मूल्यांकन किया। इसमें पेड़ों की संख्या, प्रजाति और स्थान का ब्योरा लिया गया। रिपोर्ट के अनुसार सेंट्रल फॉरेस्ट डिवीजन में कुल 155 पेड़ हैं। इनमें से 10 पेड़ों को काटना होगा, 34 का प्रत्यारोपण किया जाएगा और 111 को सुरक्षित रखा जाएगा। वहीं साउथ फॉरेस्ट डिवीजन में कुल 178 पेड़ हैं। इनमें से 75 को काटना पड़ेगा, 53 का प्रत्यारोपण होगा और 50 को बचाया जाएगा। कुल 333 पेड़ों में से 85 काटे जाएंगे, 87 का प्रत्यारोपण होगा और 161 को संरक्षित रखा जाएगा। कई पेड़ों को सिर्फ हल्की छंटाई या ट्रिमिंग की जरूरत होगी।

एनएच-24 पर कम होगा वाहनों का दबाव
यह कॉरिडोर एनएच-24, डीएनडी फ्लाई-वे और रिंग रोड पर यातायात का दबाव घटाने में अहम भूमिका निभाएगा। साथ ही यह बहु-मॉडल ट्रांजिट हब जिसमें एनसीआरटीसी, रेलवे, आईएसबीटी, मेट्रो और दिल्ली–मुंबई एक्सप्रेसवे शामिल है तक सीधी और सुगम पहुंच सुनिश्चित करेगा। अनुमान है कि इसके शुरू होने के बाद दिल्ली में प्रतिदिन करीब 2 टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन कम होगा, जो लगभग 30 हजार पेड़ों के बराबर है।

पेड़ों को बचाने के लिए डिजाइन में बदलाव किए गए, पिलर की स्थिति बदली गई और प्रत्यारोपण की प्रक्रिया अपनाई गई। सीईसी और वन विभाग का आभार व्यक्त करता हूं। अगले एक साल में यह कॉरिडोर तैयार कर दिया जाएगा। यह दिल्लीवासियों को जाम से राहत देने के साथ यमुना के बाढ़ क्षेत्र की सुरक्षा भी सुनिश्चित करेगा।

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