
राजस्थान की सियासत में जुबानी जंग तेज हो गई है। खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री सुमित गोदारा ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा पर महिलाओं और विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी (स्पीकर चेयर) का अपमान करने का आरोप लगाया है। गोदारा ने कांग्रेस की प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान डोटासरा के दिए बयान— “मेरी जूती भी माफी नहीं मांगेगी”— को घोर निंदनीय और अपमानजनक बताया। उन्होंने कहा कि यह बात सुनकर हम सभी को बहुत ही अपमानजनक महसूस हुआ। गोदारा ने कहा कि विधानसभा हम सभी के लिए पवित्र स्थल है, जहां हमे प्रदेश की जनता चुनकर भेजती है। हमारा धर्म है कि हम ऐसे विषय रखें, जिनसे जनता का हित हो।
उन्होंने कहा कि डोटासरा जी का विवादित बयान देने का स्वभाव है। ऐसे व्यक्ति जिन्होंने विधायक के रूप में, शिक्षा मंत्री के रूप में तथा विधानसभा स्पीकर के रूप में अपनी कार्यप्रणाली की राजस्थान में छाप छोड़ी, उनके बारे में गलत टिप्पणी करना शर्मनाक है। ऐसी बाते करना डोटासरा जी का स्वभाव हो सकता है, मगर इस तरह की भाषा से जिस प्रकार उन्हेांने महिलाओं का और स्पीकर की चेयर का अपमान किया, उन्हें माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रेस कॉन्फ्रेंस में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली एवं गोविंद सिंह डोटासरा विरोधाभाषी बयान दे रहे हैं। कांग्रेस अब पूरी तरह मुद्दाविहीन हो चुकी है, इसलिए इस तरह की बातें उठाकर राजस्थान की जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश की जा रही है।
खर्रा बोले-डोटासरा कुंठित
नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) झाबर सिंह खर्रा ने कहा कि कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष ने राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष के खिलाफ जिस प्रकार का शर्मनाक बयान दिया है, वह एक जनप्रतिनिधि होने के नाते उचित नहीं है। एक संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति के लिए ऐसी टिप्पणी करना गलत है। कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष इतने कुंठित हो गए हैं कि उन्हें उचित-अनुचित का भी भान नहीं है। खर्रा ने कहा कि शायद वे भूल गए हैं कि उन्होंने एक बार बयान दिया था कि जिन विद्यालयों में महिला शिक्षिकाएं कार्यरत होती हैं, वहां उनके आपसी झगड़े के कारण प्रधानाचार्य को सिरदर्द की दवा लेनी पड़ती है। वे ये भी भूल गए हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बिड़ला सभागार में एक कार्यक्रम के दौरान उपस्थित शिक्षकों से स्थानांतरण के बारे में सवाल पूछा था तो सभी ने एक स्वर में कहा था कि स्थानांतरण के लिए पैसे देने पड़ते हैं।