
सीएचबी के आंकड़ों के अनुसार साल-दर-साल बोर्ड का मुनाफा कम हो रहा है। 2022-23 में बोर्ड को जहां 23.09 करोड़ रुपये का सरप्लस हुआ था, वहीं 2023-24 में यह घटकर 20.02 करोड़ रुपये और वर्ष 2024-25 में केवल 16.69 करोड़ रुपये रह गया। इस गिरावट की सबसे बड़ी वजह बोर्ड की ई-नीलामी से होने वाली आय में आई कमी रही।
चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड (सीएचबी) की वित्तीय हालत लगातार कमजोर होती जा रही है। मुनाफा तीन साल में 23.09 करोड़ से घटकर 16.69 करोड़ रुपये पर सिमट गया है और बोर्ड अब लगभग एफडीआर के ब्याज के सहारे चल रहा है।
ई-ऑक्शन से आय में भारी गिरावट आई है। 2022-23 में जहां 114 प्रॉपर्टीज बेचकर 76.22 करोड़ रुपये कमाए गए थे, वहीं 2024-25 में बोर्ड सिर्फ 18 प्रॉपर्टीज ही बेच पाया है।
लगातार कम हो रहा मुनाफा
सीएचबी के आंकड़ों के अनुसार साल-दर-साल बोर्ड का मुनाफा कम हो रहा है। 2022-23 में बोर्ड को जहां 23.09 करोड़ रुपये का सरप्लस हुआ था, वहीं 2023-24 में यह घटकर 20.02 करोड़ रुपये और वर्ष 2024-25 में केवल 16.69 करोड़ रुपये रह गया। इस गिरावट की सबसे बड़ी वजह बोर्ड की ई-नीलामी से होने वाली आय में आई कमी रही।
हालांकि, एफडी पर ब्याज और बकाया राशि से बोर्ड को कुछ राहत मिली। 2022-23 में एफडी से 25.99 करोड़ रुपये की आय हुई थी जो 2024-25 में बढ़कर 35.68 करोड़ तक पहुंच गई। इसी तरह अलॉटियों से बकाया और ट्रांसफर फीस के जरिए 2022-23 में 25.15 करोड़, 2023-24 में 28.04 करोड़ और 2024-25 में 23.68 करोड़ रुपये आए। इसके बावजूद नो ड्यूज सर्टिफिकेट और ट्रांसफर फीस में गिरावट ने कुल आय पर असर डाला। 2023-24 में नो ड्यूज सर्टिफिकेट से 9.5 करोड़ रुपये की आमदनी हुई थी जबकि 2024-25 में यह घटकर 6 करोड़ रह गई। ट्रांसफर फीस 5.14 करोड़ से घटकर 3.08 करोड़ रुपये पर सिमट गई।
तीन साल में ई-नीलामी की आय 88 फीसदी तक गिरी
सीएचबी की सबसे बड़ी कमाई अपने खाली पड़े फ्लैट्स को बेचकर होती है लेकिन पिछले दो साल से उसी में बोर्ड पिछड़ रहा है। पहले हर कुछ दिनों बाद संपत्तियों की ई-नीलामी होती थी लेकिन अब वो बंद पड़े हैं। ई-नीलामी की फ्रीक्वेंसी भी बहुत कम है जिसका असर साफ तौर पर सीएचबी की बैलेंस शीट में नजर आ रहा है। आंकड़ों के अनुसार 2022-23 में सीएचबी ने 114 प्रॉपर्टीज बेचकर 76.22 करोड़ रुपये कमाए थे। अगले ही साल 2023-24 में यह घटकर 35 प्रॉपर्टीज और 22.96 करोड़ रुपये रह गया। 2024-25 में तो सिर्फ 18 प्रॉपर्टीज की ही नीलामी हुई है और आय महज 9.29 करोड़ रुपये दर्ज की गई है। तीन साल में ई-नीलामी की आय लगभग 88 फीसदी तक गिर गई है।
आमदनी घटी तो खर्चे भी घटाए
बोर्ड की आमदनी घटी है तो खर्चे भी घटाए हैं। 2022-23 में वेतन, भत्तों और लीव एनकैशमेंट आदि पर 64.89 करोड़ रुपये खर्च हुए थे जिसमें एरियर और एलआईसी पॉलिसी भुगतान शामिल था। अगले साल यह घटकर 41.35 करोड़ रुपये रह गया जबकि 2024-25 में बढ़कर 44.76 करोड़ हो गया। कानूनी और अन्य खर्चों में भी गिरावट आई है। 2022-23 में जहां यह 20.03 करोड़ रुपये था, वहीं 2024-25 में 7.15 करोड़ रुपये तक घट गया। आवासीय और वाणिज्यिक इकाइयों की बिक्री से जुड़े प्रत्यक्ष खर्च भी लगभग न के बराबर रह गए हैं।
9 साल से कोई प्रोजेक्ट नहीं, सफेद हाथी न बन जाए सीएचबी
सीएचबी ने आखिरी बार 2016 में सेक्टर-51 में 69 लाख कीमत पर 200 दो बेडरूम फ्लैट्स की योजना शुरू की थी। उसके बाद से अब तक कोई योजना पूरी नहीं हुई। अधिकांश योजनाएं या तो तकनीकी कारणों से रुकी रहीं या प्रशासनिक अनुमति के इंतजार में हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि फिलहाल एफडीआर ब्याज और बकाया शुल्क से कुछ सहारा मिल रहा है लेकिन अगर ई-नीलामी और अन्य स्रोतों को स्थिर नहीं किया गया तो आने वाले वर्षों में सीएचबी यूटी प्रशासन के लिए सफेद हाथी बन सकता है।