झारखंडराज्य

झारखंड: बंगाल के दम पर पूर्वोत्तर नीति और रक्षा में आत्मनिर्भरता संभव

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने कहा कि पूर्वोत्तर नीति के लक्ष्य और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के माध्यम से साकार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि युद्ध विज्ञान और कला दोनों है; वर्तमान संदर्भ में योद्धा को रचनात्मक और नवाचारी होना आवश्यक है। यह बात उन्होंने रांची में आयोजित ईस्ट टेक सिम्पोजियम में कही।

CDS जनरल चौहान ने यह भी कहा कि हथियारों का रणनीतिक चयन अत्यंत महत्वपूर्ण है और आधुनिक आवश्यकताओं के अनुरूप अनुसंधान एवं विकास (R&D) की समीक्षा करनी होगी। उन्होंने रक्षा निर्माण आधार को व्यापक बनाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जाना चाहिए।

अंतरिक्ष और साइबर युद्ध के लिए बनाई जा रही है नई नीति

मुख्य रक्षा अधिकारी जनरल अनिल चौहान ने शुक्रवार को कहा कि अंतरिक्ष और साइबर युद्ध के लिए उपकरण विकसित करने के लिए नीति संबंधी कदम उठाए जा रहे हैं। रांची में आयोजित ईस्ट टेक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हथियारों का रणनीतिक चयन बहुत महत्वपूर्ण है और आधुनिक आवश्यकताओं के अनुसार अनुसंधान और विकास (R&D) की समीक्षा की जानी चाहिए।

उन्होंने कहा, “रक्षा निर्माण आधार को बढ़ाने की आवश्यकता है, और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तथा अन्य आधुनिक तकनीकों का भी उपयोग किया जाना चाहिए।” जनरल चौहान ने यह भी कहा कि भारत में रक्षा निर्माण का स्वदेशीकरण भले ही देर से शुरू हुआ, लेकिन देश सही रास्ते पर है। उन्होंने कहा कि केंद्र की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति के लक्ष्य और रक्षा में आत्मनिर्भरता राज्यों जैसे झारखंड और पश्चिम बंगाल की सक्रिय भागीदारी से पूरी की जा सकती है। युद्ध विज्ञान और कला दोनों है। इस दौरान डिफेंस ईस्ट टेक में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा, ‘झारखंड सरकार पूरी तरह से केंद्र सरकार के साथ मिलकर रक्षा क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने के लिए तैयार है।

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