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महानवमी पर मां सिद्धिदात्री को लगाएं नारियल के हलवे का भोग

नवरात्र के नौवें दिन महानवमी पर मां दुर्गा के सिद्धिदात्री रूप की पूजा की जाती है। यह दिन नवरात्र के उत्सव का समापन होता है और माना जाता है कि इस दिन मां की आराधना करने से भक्तों को आठों सिद्धियां प्राप्त होती हैं। मान्यता के अनुसार, मां सिद्धिदात्री को नारियल का भोग बहुत प्रिय है ।

इसलिए, महानवमी के दिन नारियल का हलवा बनाकर मां को अर्पित करने से वे शीघ्र प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। आइए, 1 अक्टूबर को मनाए जा रहे इस पावन अवसर पर जानते हैं नारियल का स्वादिष्ट हलवा बनाने की सबसे आसान विधि, ताकि आप बिना किसी परेशानी के मां को यह खास भोग लगा सकें।

नारियल का हलवा बनाने के लिए सामग्री

नारियल: 1 मध्यम आकार का (कद्दूकस किया हुआ)
दूध: 1.5 कप
शक्कर: 1 कप (या स्वादानुसार)
घी: 2 बड़े चम्मच
इलायची पाउडर: आधा चम्मच
काजू और बादाम: बारीक कटे हुए (गार्निश के लिए)

नारियल का हलवा बनाने की विधि
सबसे पहले एक भारी तले वाली कड़ाही या नॉन-स्टिक पैन लें। उसमें 2 बड़े चम्मच घी गरम करें।

जब घी पिघल जाए, तो उसमें कद्दूकस किया हुआ नारियल डालें और इसे धीमी आंच पर लगातार चलाते हुए 2-3 मिनट तक भूनें।

ध्यान रखें कि नारियल का रंग बिल्कुल न बदले, बस उसमें से एक हल्की, मीठी खुशबू आने लगे।

इस प्रक्रिया से नारियल की नमी निकल जाती है और हलवे का स्वाद दोगुना हो जाता है।

फिर भुने हुए नारियल में 1.5 कप दूध डालें और अच्छी तरह मिलाएं।

अब आंच को मध्यम कर दें और मिश्रण को तब तक पकाएं जब तक कि सारा दूध पूरी तरह से सोख न लिया जाए।

मिश्रण को बीच-बीच में चलाते रहें ताकि वह तले पर न चिपके।

जब दूध पूरी तरह से सूख जाए, तो इसमें 1 कप शक्कर और इलायची पाउडर मिलाएं।

शक्कर डालते ही मिश्रण फिर से थोड़ा गीला हो जाएगा। अब इसे लगातार चलाते रहें और तब तक पकाएं जब तक कि हलवा कड़ाही का किनारा न छोड़ने लगे।

इस समय आप केसर का घोल भी मिला सकते हैं। फिर हलवे को तब तक पकाएं जब तक वह पूरी तरह से गाढ़ा न हो जाए और उसमें एक चमकदार बनावट न आ जाए।

जब यह तैयार हो जाए, तो आंच बंद कर दें। इसके बाद हलवे को एक सुंदर प्लेट में निकालें और ऊपर से बारीक कटे हुए काजू, बादाम और पिस्ता से सजाएं।

आपका स्वादिष्ट और शुद्ध नारियल का हलवा मां सिद्धिदात्री को भोग लगाने के लिए तैयार है। इसके बाद प्रसाद के रूप में इसे ग्रहण करें।

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