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ट्रंप सरकार का नया H-1B वीजा शुल्क बना बोझ

अमेरिका में ट्रंप प्रशासन द्वारा एच-1बी वीजा पर 1 लाख डॉलर शुल्क लगाने के फैसले से ग्रामीण स्कूलों और अस्पतालों पर संकट मंडरा रहा है। प्रवासी शिक्षकों और डॉक्टरों की कमी से शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं।

अमेरिका के ग्रामीण इलाकों में शिक्षकों और डॉक्टरों की भारी कमी से जूझ रहे स्कूलों और अस्पतालों के लिए एक नई चुनौती खड़ी हो गई है। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा घोषित एच-1बी वीजा पर 1 लाख डॉलर का नया शुल्क अब छोटे संस्थानों के लिए बड़ा आर्थिक बोझ बन गया है।

ग्रामीण स्कूलों में विदेशी शिक्षकों पर निर्भरता
साउथ डकोटा के क्रो क्रीक ट्राइबल स्कूल के सुपरिंटेंडेंट रॉब कवरडेल ने बताया कि उन्होंने 2023 में जॉइनिंग के वक्त 15 शिक्षकों की कमी पाई थी। नौ महीनों में उन्होंने ये रिक्तियां फिलीपींस से आए शिक्षकों से भरीं, जो एच-1बी वीजा पर अमेरिका आए थे।

उन्होंने कहा हमने एच-1बी शिक्षकों को इसलिए नियुक्त किया क्योंकि हमारे पास स्थानीय उम्मीदवार ही नहीं थे। ये अमेरिकी शिक्षकों की नौकरियां नहीं छीन रहे, बल्कि वो रिक्तियां भर रहे हैं जो अन्यथा खाली रह जातीं। लेकिन अब 1 लाख डॉलर के नए शुल्क से ग्रामीण शिक्षा संस्थानों के लिए विदेशी शिक्षकों को नियुक्त करना लगभग असंभव हो जाएगा।

ट्रंप प्रशासन ने 19 सितंबर को इस शुल्क की घोषणा करते हुए तर्क दिया कि नियोक्ता अमेरिकी कर्मचारियों की जगह विदेशों से सस्ते कर्मचारियों को नियुक्त कर रहे हैं। तब से, व्हाइट हाउस ने कहा है कि यह शुल्क मौजूदा वीजा धारकों पर लागू नहीं होगा और शुल्क से छूट का अनुरोध करने के लिए एक फॉर्म भी पेश किया है।

स्वास्थ्य क्षेत्र भी संकट में
एच-1बी वीजा केवल तकनीकी कामगारों के लिए ही नहीं, बल्कि डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों के लिए भी उपयोग में आता है। अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन (AMA) के मुताबिक, अगले दशक में अमेरिका में करीब 87,000 डॉक्टरों की कमी होने की आशंका है। ग्रामीण अस्पताल पहले से ही स्टाफ की कमी से जूझ रहे हैं, और ऐसे में विदेशी डॉक्टरों की भर्ती महंगी होने से यह संकट और गहरा जाएगा।

नीति के खिलाफ कानूनी लड़ाई
ट्रंप प्रशासन के इस शुल्क के खिलाफ स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं, धार्मिक संस्थानों और शिक्षकों के एक गठबंधन ने फेडरल कोर्ट में मुकदमा दायर किया है। उनका कहना है कि यह शुल्क छोटे अस्पतालों, चर्चों और स्कूलों की आर्थिक रीढ़ तोड़ देगा। होमलैंड सिक्योरिटी विभाग ने इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है।

‘जितना ज्यादा इलाका दूर होता है, उतना ही कठिन होता है स्टाफ को वहां लाना’
कवरडेल ने बताया कि साउथ डकोटा के स्टीफन जैसे इलाकों में शिक्षकों को आकर्षित करना मुश्किल होता है क्योंकि ये जगहें बेहद दूर-दराज हैं। उन्होंने कहा कि स्टीफन से नजदीकी वॉलमार्ट या कपड़ों की दुकान तक पहुंचने में लगभग एक घंटा लगता है। उन्होंने कहा जितना ज्यादा इलाका दूर होता है, उतना ही कठिन होता है अपने स्टाफ को वहां लाना और बच्चों की सेवा करवाना।

कवरडेल ने जिन शिक्षकों की भर्ती की है, उनमें से एक हैं मैरी जॉय पोंस-टोरेस, जिन्हें फिलीपींस में 24 साल का अध्यापन अनुभव है और अब वे क्रो क्रीक स्कूल में इतिहास पढ़ाती हैं। उन्होंने कहा कि शुरू में सांस्कृतिक अंतर महसूस हुआ, लेकिन अब उन्होंने यहां दोस्त बना लिए हैं और स्टीफन उनका दूसरा घर बन गया है। उन्होंने बताया मैं पहले एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाती थी। जब यहां आई तो देखा कि यह एक ग्रामीण इलाका है… लेकिन शायद मैं भी ऐसी ही शांत और सुकून भरी जगह की तलाश में थी, जहां ज़िंदगी थोड़ा धीरे चलती है। ऐसे कई प्रवासी शिक्षक और पेशेवर हैं जो बेहतर अनुभव और वेतन पाने के लिए अपने परिवार को पीछे छोड़कर अमेरिका आते हैं।

एरिजोना के पिमा यूनिफाइड स्कूल डिस्ट्रिक्ट के अधीक्षक शॉन रिकर्ट ने कहा कि अगर नया 1 लाख डॉलर का वीजा शुल्क लागू हुआ तो वे एच-1बी शिक्षकों की भर्ती बंद कर देंगे। उन्होंने कहा मेरे पास इतने पैसे नहीं हैं। स्कूल अस्थायी रूप से जे-1 वीजा वाले शिक्षकों को भी रख सकते हैं, लेकिन यह केवल कुछ वर्षों के लिए होता है और इससे स्टाफ बार-बार बदलता है। साउथ डकोटा के बाइसन स्कूल्स के अधीक्षक जॉर्ज शिपले ने कहा हमें ऐसे स्थायी लोग चाहिए जो घर खरीद सकें, समुदाय का हिस्सा बन सकें। एच-1बी वीज़ा यह मौका देता है, इसलिए यह बेहद जरूरी है।

अगर पर्याप्त शिक्षक नहीं मिले तो स्कूलों को बिना प्रमाणपत्र वाले शिक्षकों से काम चलाना पड़ेगा, कक्षाओं को मिलाना होगा या कुछ विषयों को ऑनलाइन करना पड़ सकता है। नेशनल रूरल एजुकेशन एसोसिएशन की निदेशक मेलिसा साडॉर्फ ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में प्रवासी शिक्षकों पर निर्भरता अधिकतर कठिन विषयों के लिए होती है। उन्होंने कहा, “किसी हाई स्कूल के एडवांस्ड मैथ्स शिक्षक को ढूंढना कहीं ज्यादा मुश्किल है, बजाय दूसरी या तीसरी कक्षा के प्राथमिक शिक्षक के।

भारत सहित कई देशों पर असर
यह नीति भारत जैसे देशों को भी प्रभावित करेगी, क्योंकि एच-1बी वीजा का करीब 75% हिस्सा भारतीय पेशेवरों को मिलता है। हालांकि, अब तक इसका सबसे ज्यादा असर उन अमेरिकी समुदायों पर दिख रहा है जो प्रवासी शिक्षकों और डॉक्टरों पर निर्भर हैं।

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