
राजस्थान सरकार ने विकास कार्यों और योजनाओं के वित्तीय प्रबंधन के लिए इस बार 5000 करोड़ रुपये का कर्ज रिजर्व बैंक (RBI) के माध्यम से स्टेट ग्रांटेड सिक्योरिटीज (SGS) बॉन्ड जारी करके जुटाया है। यह राशि सरकार ने सीधे कर्ज लेने के बजाय तीन अलग-अलग बॉन्ड के जरिए एकत्र की है। इन बॉन्ड्स की अदायगी 10 से 26 साल की अवधि में की जाएगी।
तीन बॉन्ड से जुटाए 5000 करोड़ रुपये
आरबीआई की ओर से जारी की गई प्रेस रिलीज के अनुसार ; राजस्थान SGS 2043 बॉन्ड के रि-इश्यू से 1500 करोड़ रुपये जुटाए गए हैं, जिस पर 7.57% ब्याज देना होगा (अवधि 18 वर्ष)। राजस्थान SGS 2035 बॉन्ड के जरिए 2000 करोड़ रुपये जुटाए गए हैं, जिस पर 7.23% ब्याज (अवधि 10 वर्ष) निर्धारित है। राजस्थान SGS 2051 बॉन्ड से 1500 करोड़ रुपये जुटाए गए हैं, जिसकी अवधि 26 वर्ष है और ब्याज दर 7.30% रखी गई है। राज्य सरकार हर साल विकास योजनाओं के लिए बॉन्ड के माध्यम से फंड जुटाती है, लेकिन इस बार अन्य राज्यों की तुलना में राजस्थान को अपने बॉन्ड पर थोड़ा अधिक ब्याज देना पड़ रहा है।
अन्य राज्यों ने भी बॉन्ड से जुटाया फंड
राजस्थान के साथ-साथ उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और तमिलनाडु ने भी आरबीआई के जरिए फंड जुटाया है।
महाराष्ट्र ने 5000 करोड़,
तमिलनाडु ने 3000 करोड़,
छत्तीसगढ़ ने 2000 करोड़,
और उत्तर प्रदेश ने 2000 करोड़ रुपये जुटाए हैं।
तमिलनाडु को अपने बॉन्ड पर राजस्थान की तुलना में कम ब्याज दर पर फंड मिला है।
दिवाली के दिन हुआ बॉन्ड नीलामी परिणाम जारी
20 अक्टूबर (दिवाली के दिन) आरबीआई ने राजस्थान समेत सभी राज्यों के बॉन्ड की नीलामी आयोजित की थी। इसके बाद बॉन्ड नीलामी के परिणाम सार्वजनिक किए गए।
बढ़ता कर्ज, विकास योजनाओं के लिए कर्ज पर निर्भरता
राजस्थान सरकार पर कुल कर्ज का बोझ लगातार बढ़ रहा है। बीते 10 वर्षों में राज्य का ऋण तेजी से बढ़ा है और अब यह 8 लाख करोड़ रुपये के करीब पहुंच गया है।
बजट दस्तावेजों के अनुसार, 2025-26 तक यह आंकड़ा 8 लाख करोड़ पार कर सकता है। सरकार की आय का बड़ा हिस्सा कर्मचारियों के वेतन और पेंशन में खर्च हो जाता है, जिसके कारण विकास कार्यों के लिए कर्ज लेना मजबूरी बन गया है। इस साल राजस्थान ने अपने बजट में करीब 70 हजार करोड़ रुपए का कर्ज प्रस्तावित किया है।



