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पाकिस्तान के रक्षा बजट का आधा तो छठ पर्व पर खर्च करेंगे भारतीय

सूर्य उपासना के महापर्व छठ को पूरे देश में श्रद्धा से मनाया जाता है। इस साल छठ पूजा में 38 हजार करोड़ रुपये का कारोबार होने का अनुमान है। यह पर्व स्वदेशी को बढ़ावा देता है और स्थानीय उत्पादकों को सीधा लाभ पहुंचाता है। दिल्ली में ही छह हजार करोड़ रुपये का व्यापार होने की उम्मीद है। इससे कुटीर उद्योगों को मजबूती मिल रही है।

सूर्य उपासना के महापर्व छठ को पूरे देश में आस्था, श्रद्धा और भव्यता के साथ मनाया जाता है। शनिवार को नहाय-खाय के साथ चार दिवसीय पर्व का शुभारंभ हो जाएगा। खास बात यह है कि अकेले इस पर्व में ही देश के लोग पाकिस्तान के रक्षा बजट का आधा खर्च करेंगे, जो स्वदेशी को भी बड़ी मजबूती देगा।

छठ पूजा के दौरान इस वर्ष पूरे देश में 38 हजार करोड़ रुपये का कारोबार होने का अनुमान है, जबकि पाकिस्तान का कुल रक्षा बजट 76 हजार करोड़ रुपये है। कंफेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने यह अनुमान जताते हुए कहा है कि पूर्वांचल से निकलकर अब छठ पर्व देश के कई राज्यों में मनाया जाने लगा है। इससे इस पर्व के दौरान होने वाले कारोबार में भी बढ़ोतरी होती गई है।

देशभर में 15 करोड़ श्रद्धालुओं के शामिल होने का अनुमान

छठ पर्व पर देशभर में करीब 15 करोड़ श्रद्धालुओं के व्रत, स्नान, अर्घ्य और पूजा के पारंपरिक विधान में शामिल होने का अनुमान है। कैट के राष्ट्रीय महामंत्री और चांदनी चौक से सांसद प्रवीन खंडेलवाल के अनुसार बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, बंगाल, छत्तीसगढ़, दिल्ली, उत्तराखंड, हरियाणा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश समेत अन्य राज्यों में छठ का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। पूर्वांचली समाज के लोग जहां भी रहते हैं, वहां वे इस पर्व को पूरी श्रद्धा के साथ मनाते हैं। केवल दिल्ली में छह हजार करोड़ रुपये का व्यापार होने का अनुमान है।

कुटीर उद्योगों को मिल रही मजबूती

छठ पूजा से संबंधित प्रमुख वस्तुओं में सूप, दौरा, डलिया, मिट्टी के दीपक, बांस की टोकरी, सुथनी, फल विशेषकर केला, नारियल, सेब, गन्ना, नींबू, गेहूं और चावल का आटा, मिठाइयां, प्रसाद के लिए ठेकुआ, पूजा सामग्री, साड़ी और पारंपरिक वस्त्र, सजावट सामग्री, दूध और घी, पूजा पात्र, टेंट व सजावट के सामान आदि शामिल हैं।

इसी तरह, पारंपरिक परिधान जैसे साड़ियां, लहंगा-चुन्नी, सलवार-कुर्ता (महिलाओं के लिए) और कुर्ता-पायजामा, धोती (पुरुषों के लिए) की खरीदारी भी बड़े पैमाने पर होती है। इन दिनों छठ के लिए खरीदारी पूरे जोर-शोर से चल रही है। हस्तनिर्मित स्वदेशी वस्तुएं भी बड़ी मात्रा में बिक रही हैं। पूजा में उपयोग की जाने वाली अधिकांश वस्तुएं स्थानीय कारीगरों और शिल्पकारों द्वारा निर्मित होती हैं, जिससे रोजगार के नए अवसर पैदा हो रहे हैं और कुटीर उद्योग को मजबूती मिल रही है।

स्थानीय उत्पादकों को मिलता सीधा लाभ

छठ पूजा केवल धार्मिक पर्व नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है, जो सामाजिक एकता और समर्पण का प्रतीक है। इस पर्व से स्थानीय उत्पादकों, व्यापारियों और लघु उद्योगों को सीधा लाभ पहुंचता है। इससे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वोकल फार लोकल और आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को बल मिल रहा है।

पिछले वर्ष की तुलना में कारोबार में सात हजार करोड़ की वृद्धि संभव

पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष छठ के कारोबार में सात हजार करोड़ रुपये की वृद्धि संभव है। पिछले वर्ष यह आंकड़ा लगभग 31 हजार करोड़ रुपये और वर्ष 2023 में करीब 27 हजार करोड़ रुपये था। अकेले दिल्ली में लोक आस्था के इस महापर्व पर लगभग छह हजार करोड़ रुपये से अधिक का व्यापार होने की उम्मीद है।

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