
दिल्ली में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ा हुआ है। राजधानी में बिछी प्रदूषण की चादर को देखते हुए दिल्ली सरकार द्वारा अपने कार्यालयों के लिए महंगे एयर प्यूरीफायर खरीदने के आदेश दिया गया है, जिस पर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। विपक्ष ने सरकार पर आम नागरिकों को ‘घुटन’ में छोड़ने और केवल अपने लिए सुविधा जुटाने का आरोप लगाया है।
इस वजह पर हुआ विवाद
PWD द्वारा जारी कार्य आदेश में दिल्ली सचिवालय और नई दिल्ली सचिवालय में “विभिन्न स्थानों पर 15 स्मार्ट एयर प्यूरीफायर की आपूर्ति और स्थापना” को मंजूरी दी गई है। इस खरीद की कुल लागत ₹5, 45,175 है, यानी प्रत्येक यूनिट की कीमत ₹36,345 है। ये प्यूरीफायर लगभग 1,000 वर्ग फुट क्षेत्र को कवर करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं और इनमें तीन फिल्टर (प्री-फिल्टर, एक्टिवेटेड कार्बन और ट्रू HEPA) का मल्टीस्टेज सिस्टम है।
विपक्ष ने दिल्ली सरकार पर बोला हमला
विपक्षी दलों ने इस टेंडर को लेकर दिल्ली सरकार की कड़ी आलोचना की। टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर सरकार पर तंज कसा। विपक्ष का आरोप है कि यह आदेश मुख्यमंत्री द्वारा निवासियों को आतिशबाजी के साथ “पारंपरिक” दिवाली मनाने के लिए प्रोत्साहित करने के कुछ ही दिनों बाद आया है, जबकि नागरिक ज़हरीली हवा में साँस लेने को मजबूर हैं।
सीएम ने दिया जवाब
इसके विपरीत दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने छठ पूजा पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि पिछली सरकारों की तुलना में मौजूदा सरकार के कार्यकाल में दिवाली के बाद वायु प्रदूषण का स्तर कम हुआ है। उन्होंने यह भी बताया कि इस साल दिवाली से पहले के स्तर की तुलना में बाद में प्रदूषण में वृद्धि पिछले वर्षों जितनी ज़्यादा नहीं रही है।
CPCB के आँकड़ों के अनुसार
गुरुवार सुबह दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) “बेहद खराब” श्रेणी में रहा, जबकि GRAP II मानदंड लागू हैं।
इस साल दिवाली पर दिल्ली का AQI 345 दर्ज किया गया, जो पिछले साल 2024 के 328 से भी ज़्यादा था।



