प्री-डायबिटीज को हल्के में लेने की भूल पड़ जाएगी भारी

मधुमेह भारत में अनियंत्रित गति से पांव पसार रहा है । देश की ऐसी आबादी भी अब टाइप-2 डायबिटीज की शिकार हो रही है, जिसने अभी अपना 40वां जन्मदिन भी नहीं मनाया है। ऐसे ढेरों मामले सामने आ रहे हैं, जहां इंसुलिन की समस्या से जूझते मरीजों की उम्र 20 वर्ष से भी कम है।
यही वह वर्ग है, जो आने वाले समय में देश की उत्पादकता- अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देने वाला है। बच्चों में इस समस्या के पनपने का सबसे बड़ा कारण है कि वे बाहर से खाना मंगाकर खा रहे हैं, उनका स्क्रीन टाइम बढ़ गया हैं, नींद पूरी नहीं हो रही है और कसरत, व्यायाम के लिए उनके पास समय नहीं है।
हमें समझना होगा कि अगर प्री डायबिटीज की अवस्था में आने के बाद भी सजग हो जाएं तो मधुमेह को नियंत्रित करना असंभव नहीं है। ज्यादातर लोग इसे हल्के में लेते हैं। यह बीमारी ‘साइलेंट किलर’ की तरह शरीर को धीरे-धीरे कमजोर कर देती है। शरीर के महत्वपूर्ण अंग जैसे किडनी, आंखें आदि गंभीर रूप से प्रभावित हो सकते हैं।
इन लक्षणों को हल्के में न लें
अधिक प्यास लगना
जल्दी-जल्दी यूरिन महसूस होना
अधिक भूख लगना
हर समय थकान
खानपान ठीक होने के बाद भी वजन घटना
जिम जाना ही पर्याप्त नहीं
वजन जितना अधिक होगा, मांसपेशियां और कोशिकाएं इंसुलिन हार्मोन के प्रति उतनी ही प्रतिरोधी होंगी। इसलिए यदि आप जिम जाकर वजन को नियंत्रित कर लेना चाहते हैं तो यह सोच सही नहीं है। इससे बचने के लिए वर्तमान दिनचर्या को देखें कि कौन सी चीज है, जो बदलनी है। स्वस्थ खानपान की तरफ लौटने का प्रयास करें।
जिम जाकर पसीना बहाने का समय नहीं है तो आप घर पर ही रस्सी कूद, नृत्य या अन्य कुछ काम, जैसे कपड़े हाथ से धोने, पोंछा लगाने आदि काम कर सकते हैं। संक्षेप में कहें तो जितनी कैलोरी ले रहे हैं उसी अनुपात में कसरत करें, सक्रियता बनाए रखने का प्रयास करें।
क्या रिवर्स हो सकता है डायबिटीज?
आप दवा या डाइट कंट्रोल से मधुमेह को पूरी खत्म या रिवर्स नहीं कर सकते। ऐसा नहीं हो सकता है कि कुछ समय डाइट कंट्रोल कर लें और कुछ समय तक कसरत करें, सक्रिय रहें तो डायबिटीज खत्म हो जाएगी। बेहतर होगा कि शुगर को नियंत्रण में रखने का निरंतर प्रयास हो । स्वस्थ खानपान और अच्छी दिनचर्या से पैंक्रियाज सही से काम करना शुरू कर सकता है, यही आपका लक्ष्य होना चाहिए।
चीनी, शहद या गुड़ क्या है बेहतर?
ज्यादातर लोग समझते हैं कि मिठाई खाने का मन है तो शुगर फ्री खा सकते हैं। इससे आपने चीनी से परहेज तो किया, पर उसमें मौजूद वसा के नुकसान से नहीं बच पाते हैं। इसी तरह चीनी, शहद या गुड़ लिए धारणा रहती है कि गुड़, चीनी से अच्छा है, पर ये तीनों अलग होते हैं। यदि पर्याप्त मेहनत कर रहे हैं तो शर्करा या ग्लूकोज के रूप में कैलोरी आसानी से उपयोग हो जाती है। निष्क्रिय रहने से यह शरीर में जमा हो जाती है और इंसुलिन प्रतिरोध का खतरा रहता है।
3 स्तरों पर करें प्रयास
शारीरिक गतिविधि- मध्यम से तीव्रता वाले एरोबिक व्यायाम सप्ताह में कम से कम 150 मिनट। साथ ही, दो से तीन बार स्ट्रेंथ ट्रेनिंग। इससे इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार होता है और आंतों का हानिकारक फैट कम होता है।
आहार में बदलाव- प्रचुर फाइबर, मोटे अनाज, सब्जियों, फलों, नट्स, सीड्स की मात्रा बढ़ाएं और शुगर, प्रोसेस्ड भोजन और सैचुरेटेड फैट से दूरी बनाएं।
नींद और तनाव प्रबंधन- पर्याप्त नींद और तनाव मुक्त रहने से ग्लूकोज संतुलित और मेटाबालिक हेल्थ सही रखता है।
प्री-डायबिटीज से निपटने के लिए बनाएं प्लान
सुबह उठने के आधे घंटे के अंदर लें प्रोटीन युक्त नाश्ता- दिन की शुरुआत में प्रोटीन लेने से ब्लड शुगर संतुलित रहता है। इससे दिन में बार- बार भूख नहीं लगती।
भोजन के बाद 10 मिनट जरूर टहलें- इससे भोजन के बाद तेजी से बढ़ने वाला शुगर नियंत्रण में रहेगा। निरंतरता रहेगी, तभी लाभ मिलेगा।
भोजन का बनाएं नियम- भोजन की शुरुआत फाइबर युक्त सब्जियों से करे। फिर प्रोटीन व अंत में कार्बोहाइड्रेट्स ले। इससे ऊर्जा बनी रहती है।
उच्च फाइबर वाले अनाज लें- सफेद चावल, रोटी और मैदा के बजाय ब्राउन राइस, क्विनोआ, जई या बाजरा अधिक फाइबर के कारण ब्लड शुगर को नियंत्रित रखते हैं।
सोने से तीन घंटे पहले भोजन- बिस्तर पर जाने से पहले तुरंत भोजन करने से ब्लड शुगर तेजी से बढ़ता है, इसलिए डिनर तीन घंटे पहले करना चाहिए।
इन बातों का रखें ध्यान
तले-भुने मसालेदार पदार्थों को कम रखेंगे तो फैट को नियंत्रित करना आसान होगा अन्यथा इंसुलिन प्रतिरोध बढ़ता जाएगा।
मधुमेह नियंत्रण के लिए दवा से अधिक जरूरी है कि स्वस्थ आहार व कसरत युक्त दिनचर्या में निरंतरता ।
आहार में फल जरूर शामिल करें। सेब, पपीता, नाशपाती, संतरा और अमरूद जैसे फल फाइबर से भरपूर होते हैं।
मोटापा है तो वजन को पांच से दस प्रतिशत कम करके मधुमेह को दूर रख सकते हैं।
भोजन की थाली को इंद्रधनुषी बनाएं यानी उसमें अलग-अलग रंगों वाले खाने की चीजें हों।
डिब्बाबंद संरक्षित खाना, रेडी टू ईट भोजन से दूर रहे। मोटा अनाज और साग-सब्जियां भोजन मे शामिल करें।
नींद से समझौता न करें। स्लीप हाइजिन का ध्यान रखें। अधिक समस्या होने पर चिकित्सक से परामर्श लें।



