सैन्य बलों के भविष्य पर बोले सेना प्रमुख उपेंद्र द्विवेदी

दिल्ली डिफेंस डायलॉग में सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने आज भारतीय सेना की भविष्य की दिशा, तकनीकी बदलावों और मानव-केंद्रित दृष्टिकोण पर विस्तार से बात की। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में ‘तकनीक और भूगोल का मेल’ यानी टेक्नोलॉजी और जमीन दोनों का संतुलन बेहद जरूरी है।
‘जमीन ही जीत की रहेगी असली मुद्रा’
जनरल द्विवेदी ने कहा कि भारत की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए जमीन ही विजय की मुद्रा बनी रहेगी। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, ‘जब ट्रंप और पुतिन की मुलाकात अलास्का में हुई थी, तब भी चर्चा जमीन पर ही हुई थी। तकनीक हमें जमीन पर ही लाभ देनी चाहिए, चाहे वह विनाश हो, कब्जा हो या बेदखली।’ उन्होंने आगे कहा, ‘हम जिस स्थिति की कल्पना कर रहे हैं, उसमें ‘स्मार्ट बूट्स ऑन ग्राउंड’ और ‘बॉट्स’ दोनों साथ होंगे। यानी सैनिक और मशीनें मिलकर काम करेंगी, ‘माइंड इन द क्लाउड, आइज इन द स्काई’। लेकिन उन्होंने चेतावनी दी कि युद्ध के दौरान कभी-कभी तकनीक विफल भी हो सकती है, इसलिए सैनिकों को बिना तकनीक के भी लड़ने में सक्षम होना चाहिए। उन्होंने इसे ‘क्लाउड-सेंट्रिक और नेटवर्क-सेंट्रिक वॉरफेयर’ का मिश्रण बताया।’
‘इंडस्ट्री 5.0- इंसान को केंद्र में रखती तकनीक’
सेना प्रमुख ने आगे कहा कि अब दुनिया इंडस्ट्री 4.0 से आगे बढ़कर इंडस्ट्री 5.0 की ओर जा रही है। उन्होंने समझाया, ‘इंडस्ट्री 4.0 में एआई, क्वांटम टेक्नोलॉजी जैसी चीजों पर बात होती थी। लेकिन 5.0 ने यह महसूस किया कि तकनीक को इंसान की जगह नहीं लेनी चाहिए, बल्कि उसकी मदद करनी चाहिए। यही भारतीय सेना के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि हम मानव-केंद्रित तकनीकी अपनाने की दिशा में बढ़ रहे हैं। हमें ‘ह्यूमन एम्प्लीफाइड बाय एआई’ की दिशा में सोचना होगा।’ उन्होंने कहा कि रचनात्मकता, संवेदनशीलता और समस्या समाधान जैसी मानवीय क्षमताएं हमेशा नियंत्रण में रहनी चाहिए।
‘टेक्नोलॉजी जेनरेशन-7, नई छलांग’
इस दौरान जनरल द्विवेदी ने नई तकनीक की बात करते हुए कहा कि अब दुनिया टेक्नोलॉजी जेनरेशन-7की ओर बढ़ रही है, जिसमें मोबाइल, कंप्यूटर, गेम कनसोल और 7-नैनोमीटर माइक्रोचिप शामिल हैं। उन्होंने कहा, ‘इन सभी तकनीकों को हमें एक साथ जोड़कर देखना होगा, ताकि भारतीय सेना को इनसे अधिकतम लाभ मिल सके।’
‘पुराने सिस्टम रहेंगे, लेकिन उन्हें सुधारना होगा’
सेना प्रमुख ने कहा कि पुराने यानी ‘लेगेसी सिस्टम्स’ अभी खत्म नहीं होंगे। ‘कम से कम अगले पांच-सात साल तक ये बने रहेंगे, इसलिए हमें इन्हें सुधारकर सक्षम बनाना होगा।’ उन्होंने यह भी बताया कि डिजिटल और फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर में अभी भी कमी है।’नेटवर्क स्पेक्ट्रम पूरी तरह परिपक्व नहीं हुआ है। सैटेलाइट प्रोजेक्ट्स भी सभी तीनों सेनाओं में समय ले रहे हैं।’
‘AI में टैलेंट की कमी, सेना को खुद तैयार होना होगा’
उन्होंने कहा कि 2027 तक एआई से जुड़ी लगभग 23 लाख नौकरियां होंगी, लेकिन कुशल जनशक्ति सिर्फ आधी यानी 12 लाख के करीब होगी। ‘अगर ऐसा हुआ, तो सेना को एआई सेवाएं आउटसोर्स करनी पड़ेंगी और यह महंगा सौदा होगा। इसलिए हमें आज से ही तैयारी करनी होगी, स्कूलों में एआई विशेषज्ञता लानी होगी और सेना में भी एआई विशेषज्ञ तैयार करने होंगे।’
‘रक्षा खरीद प्रक्रिया में किया गया बड़ा सुधार’
जनरल द्विवेदी ने कहा कि रक्षा खरीद प्रणाली में हाल ही में बड़ा सुधार किया गया है। ‘नई डिफेंस एक्विजिशन प्रोसीजर तेजी से आगे बढ़ रही है और दिसंबर तक इसे अंतिम रूप देकर अगले वित्त वर्ष से लागू किया जाएगा।’ उन्होंने कहा कि ‘आयात पर निर्भरता फिलहाल बनी रहेगी क्योंकि कुछ अहम तकनीकें अभी देश में विकसित नहीं हुई हैं। आने वाले चार से पांच साल तक कुछ महत्वपूर्ण घटक बाहर से ही आयात करने होंगे।’ साथ ही उन्होंने साइबर और डेटा कमजोरियां को बड़ी चुनौती बताया। ‘यह हमें सहयोगी कामकाज में बाधा डालती है और हमें अलग-अलग खेमों में काम करने पर मजबूर करती है। लेकिन हम इसे सुधारने की दिशा में काम कर रहे हैं।



