आज है विवाह पंचमी, बन रहे ये मंगलकारी योग

आज यानी 25 नवंबर को विवाह पंचमी का पर्व मनाया जा रहा है। मार्गशीर्ष महीने की शुक्ल पंचमी तिथि पर श्रीराम और माता सीता का दिव्य विवाह संपन्न हुआ था। इस दिन प्रभु श्रीराम और माता सीता की पूजा-अर्चना करने का विधान है। इस दिन कई योग का निर्माण भी हो रहा है। ऐसे में आइए जानते हैं आज का पंचांग के बारे में।
तिथि: शुक्ल पंचमी
मास पूर्णिमांत: मार्गशीर्ष
दिन: मंगलवार
संवत्: 2082
तिथि: शुक्ल पंचमी – रात 10 बजकर 56 मिनट तक
योग: गण्ड – दोपहर 12 बजकर 50 मिनट तक
करण: बव – प्रातः 10 बजकर 12 मिनट तक
करण: बालव – रात 10 बजकर 56 मिनट तक
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय: प्रातः 06 बजकर 52 मिनट पर
सूर्यास्त: सायं 05 बजकर 24 मिनट पर
चंद्रोदय: प्रातः 11 बजकर 42 मिनट पर
चंद्रास्त: रात 09 बजकर 33 मिनट पर
सूर्य राशि: वृश्चिक
चन्द्रमा की राशि: मकर
आज के शुभ मुहूर्त
अभिजीत मुहूर्त: प्रातः 11 बजकर 47 बजे से दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक
अमृत काल: सायं 05 बजे से सायं 06 बजकर 45 मिनट तक
आज के अशुभ समय
राहुकाल: दोपहर 02 बजकर 46 बजे से सायं 04 बजकर 05 मिनट तक
गुलिकाल: दोपहर 12 बजकर 08 बजे से दोपहर 01 बजकर 27 मिनट तक
यमगण्ड: प्रातः 09 बजकर 30 बजे से प्रातः 10 बजकर 49 मिनट तक
आज का नक्षत्र
आज चंद्रदेव उत्तराषाढ़ नक्षत्र में रहेंगे।
उत्तराषाढ़ नक्षत्र: रात 11 बजकर 57 मिनट तक।
सामान्य विशेषताएं: परिश्रमी, धैर्यवान, मजबूत, गठीला शरीर, लंबी नाक, तीखे नयन-नक्श, दयालु, अच्छे भोजन और संगति के शौकीन, ईमानदार, विश्वसनीय, बुद्धिमान और दूरदर्शी
नक्षत्र स्वामी: सूर्य देव
राशि स्वामी: बृहस्पति देव, शनि देव
देवता: विश्वदेव (अप्रतिद्वंद्वी विजय के देवता)
प्रतीक: हाथी का दांत या छोटा बिस्तर
विवाह पंचमी का धार्मिक महत्व
विवाह पंचमी मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी को मनाई जाने वाली अत्यंत शुभ तिथि है, जिस दिन भगवान श्रीराम और माता सीता का दिव्य विवाह संपन्न हुआ था। यह पावन पर्व आदर्श दांपत्य, करुणा, समर्पण और धर्म के पालन का प्रतीक माना जाता है।
मान्यता है कि इस दिन भगवान राम–सीता के विवाह का स्मरण करने से वैवाहिक जीवन में प्रेम, सौहार्द और स्थिरता बढ़ती है। अविवाहितों के लिए यह तिथि विशेष रूप से मंगलकारी होती है, क्योंकि इस दिन किए गए संकल्प और पूजा-व्रत शीघ्र विवाह का मार्ग प्रशस्त करते हैं। इस प्रकार विवाह पंचमी सुख, समृद्धि और पारिवारिक सद्भाव का पावन उत्सव है।
विवाह पंचमी पर क्या-क्या करें
राम–सीता की प्रतिमा या चित्र का पूजन करें।
रोली, चावल, फूल, दीपक और तुलसी-दल अर्पित करें।
रामचरितमानस में वर्णित विवाह प्रसंग या सुंदरकांड का पाठ करें।
शुद्ध संकल्प लेकर व्रत रखें।
विवाहित दंपति साथ में पूजा करें। इससे दांपत्य प्रेम और सौहार्द बढ़ता है।
शीघ्र और शुभ विवाह के लिए अविवाहित कन्याएँ माता सीता की विशेष पूजा करें।
जरूरतमंदों, ब्राह्मणों या कन्याओं को दान-पुण्य करें।
मंदिर जाकर भगवान राम–सीता का आशीर्वाद लें।
पारिवारिक सद्भाव, प्रेम और वैवाहिक सुख की प्रार्थना करें।


