
दिल्ली में आईजीआई एयरपोर्ट भारत का पहला ऐसा एयरपोर्ट बन गया है, जिसने वाटर पॉजिटिव (जल-सकारात्मक) का दर्जा हासिल किया है। आसान शब्दों में कहें तो वाटर पॉजिटिव से आशय है कि आईजीआई एयरपोर्ट जितना पानी इस्तेमाल करता है, उससे कहीं ज्यादा पानी प्रकृति को वापस लौटा रहा है। हाल ही में वाटर इनोवेशन समिट 2025 में एयरपोर्ट संचालन एजेंसी डायल को इस उपलब्धि के लिए औपचारिक रूप से सम्मानित किया गया।
उपलब्धि के पीछे की कहानी
डायल के अनुसार, वर्षा जल को सहेजना , अपशिष्ट जल को पूरी तरह रिसाइकिल करना और खपत को न्यूनतम रखना- ये तीनों मिलकर स्थानीय जल स्रोतों पर दबाव को काफी कम कर रहे हैं। आईजीआई एयरपोर्ट का यह मॉडल अब दुनिया भर के एयरपोर्ट, औद्योगिक क्षेत्रों और बड़े शहरी परिसरों के लिए एक दोहराया जा सकने वाला उदाहरण बन गया है।
वाटर-पॉजिटिव स्टेट्स, कार्बन न्यूट्रल की दिशा में तेज प्रगति, रिन्यूएबल एनर्जी, कन्वर्जन, कचरा प्रबंधन और सामाजिक प्रभाव कार्यक्रम- ये सभी मिलकर आईजीआई को भविष्य के लिए तैयार, जलवायु-सहनशील और सस्टेनेबल एविएशन में अग्रणी बनाते हैं।
डायल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विदेह कुमार जयपुरियार का कहना है कि वाटर पॉजिटिव बनना हमारी उस सोच का प्रमाण है, जिसमें हम प्राकृतिक संसाधनों का जिम्मेदारी से इस्तेमाल करते हैं। यह कदम हमें नेट-जीरो एयरपोर्ट बनने के हमारे दीर्घकालिक लक्ष्य की ओर आगे ले जाता है। आज यह एयरपोर्ट सिर्फ भारत का सबसे व्यस्त एयरपोर्ट ही नहीं, बल्कि देश का सबसे ग्रीन एयरपोर्ट भी है।
बताया गया कि यह एयरपोर्ट पहले ही अपनी श्रेणी में एशिया का पहला एयरपोर्ट है, जिसे एयरपोर्ट्स काउंसिल इंटरनेशनल के कार्बन एक्रेडिटेशन प्रोग्राम में लेवल-5 का दर्जा मिल चुका है। जल-संकट वाले क्षेत्र में स्थित होने के बावजूद आईजीआई एयरपोर्ट ने साबित कर दिखाया है कि बड़ी क्षमता वाले हवाई अड्डे भी टिकाऊ जल प्रबंधन को बड़े पैमाने पर लागू कर सकते हैं।





