बिना सुनवाई ध्वस्तीकरण पर हाईकोर्ट सख्त, सरकार पर 20 लाख का हर्जाना

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने बिना सुनवाई का अवसर दिए खातेदार का नाम राजस्व अभिलेखों से हटाने और निर्माण ध्वस्त करने के मामले में कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने उप जिलाधिकारी (एसडीएम) के आदेश को रद्द करते हुए राज्य सरकार पर 20 लाख रुपये का हर्जाना लगाया है। इसे दो माह के भीतर याची को देने का निर्देश दिया गया है। साथ ही राजस्व अधिकारियों की भूमिका की जांच अपर मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी से कराने के आदेश दिए गए हैं।
यह निर्णय न्यायमूर्ति आलोक माथुर की एकल पीठ ने सावित्री सोनकर की याचिका पर सुनाया। याची ने बताया कि रायबरेली जिले के ग्राम देवनंदनपुर स्थित गाटा संख्या 431 (ख) भूमि पर उनका स्वामित्व है और उनका नाम वर्षों से राजस्व अभिलेखों में दर्ज था। इसके बावजूद, एसडीएम ने बिना नोटिस या सुनवाई के धारा 38 के तहत कार्रवाई करते हुए 10 फरवरी 2025 को नाम काटकर भूमि को ग्राम सभा की घोषित कर दिया।
धारा 38 का प्रयोग करना कानूनन गलत
इसी आदेश के आधार पर 24 मार्च को याची का निर्माण ध्वस्त कर भूमि जीएसटी विभाग को सौंप दी गई। कोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड सुधार की यह कार्यवाही अवैध, मनमानी और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के विपरीत है। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि 1975 की डिक्री मौजूद होने के बावजूद धारा 38 का प्रयोग करना कानूनन गलत था।



