टेक्नोलॉजी

बिना पासवर्ड लॉग-इन का फ्यूचर: Passkey टेक्नोलॉजी समझिए आसान भाषा में

डिजिटल युग में पासवर्ड की जगह पासकी एक ज्यादा सुरक्षित विकल्प के रूप में उभरी है। यह दो डिजिटल चाबियों (एक सर्वर पर, एक डिवाइस पर) और बायोमेट्रिक या पिन ऑथेंटिकेशन का उपयोग करती है, जिससे लॉग-इन सुरक्षित होता है। पासवर्ड के विपरीत, पासकी में कोई साझा रहस्य नहीं होता, जिससे डेटा लीक का खतरा कम होता है। यह हैकिंग और फ़िशिंग से बचाव में अधिक प्रभावी है। जहां भी उपलब्ध हो, खासकर पेमेंट और सोशल मीडिया ऐप्स के लिए पासकी का उपयोग करने की सलाह दी जाती है ताकि अकाउंट को अत्यधिक सुरक्षित रखा जा सके।

आज के डिजिटल जमाने में हम अपने अकाउंट को सुरक्षित रखने के लिए पासवर्ड का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन बदलती टेक्नोलॉजी और बढ़ते साइबर खतरों के दौर में अब एक ज्यादा सुरक्षित विकल्प भी आ गया है। जी हां, हम पासकी की बात कर रहे हैं। आजकल, जब आप लैपटॉप या फोन पर किसी ऐप या वेबसाइट में साइन-इन करते हैं, तो आपको अक्सर पासवर्ड के अलावा पासकी इस्तेमाल करने का ऑप्शन दिखाई देता है।

हालांकि, बहुत से लोगों को अभी भी नहीं पता कि यह क्या है और यह पासवर्ड से कैसे अलग है। असल में AI और एडवांस्ड हैकिंग टूल्स के जमाने में पासवर्ड को अब पूरी तरह से सुरक्षित नहीं माना जा सकता। पासवर्ड का आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है और फिशिंग लिंक के जरिए डेटा लीक हो सकता है। इस समस्या से निपटने के लिए पासकी तेजी से पॉपुलर हो रही हैं। चलिए पहले जानें आखिर पासकी क्या है

Passkey क्या है और कैसे करता है काम?

पासकी को पासवर्ड का ज्यादा एडवांस्ड और सेफ वर्शन माना जाता है। ये फिजिकल चाबी की तरह ही काम करती हैं, लेकिन आपको कोई नंबर, शब्द या कॉम्बिनेशन याद रखने की जरूरत नहीं होती। पासकी असल में दो डिजिटल चाबियों पर बेस्ड होती है। एक चाबी वेबसाइट या ऐप के सर्वर पर सेफ रहती है, जबकि दूसरी आपके फोन या लैपटॉप पर स्टोर होती है। जब आप लॉग इन करते हैं, तो सिस्टम फेस अनलॉक, फिंगरप्रिंट या डिवाइस पिन के जरिए आपकी पहचान कन्फर्म करता है।

जब दोनों चाबियां मैच हो जाती हैं, तो लॉग-इन आसानी से पूरा हो जाता है। इस प्रोसेस को पब्लिक की क्रिप्टोग्राफी कहा जाता है। सबसे बड़ा फायदा ये है कि आपकी प्राइवेट चाबी कभी भी इंटरनेट पर लीक नहीं हो सकती, जिससे इसे चुराना लगभग नामुमकिन हो जाता है।

दोनों में फर्क और क्या करें इस्तेमाल?

एक तरफ पासवर्ड यूजर और वेबसाइट दोनों को पता होते हैं, जिसका मतलब है कि अगर किसी भी तरफ से डेटा लीक होता है, तो आपका अकाउंट हैक हो सकता है। दूसरी तरफ पासकी में ऐसी कोई सीक्रेट जानकारी शामिल नहीं होती, जिससे उन्हें एक्सेस करना लगभग नामुमकिन हो जाता है। अभी सभी वेबसाइट और ऐप पासकी को सपोर्ट नहीं करते हैं, लेकिन जहां भी पासकी का ऑप्शन उपलब्ध है, आपको इसे जरूर इनेबल करना चाहिए। पेमेंट और सोशल मीडिया ऐप के लिए पासकी का इस्तेमाल करें। इससे आपके अकाउंट बहुत ज्यादा सुरक्षित हो जाएंगे।

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