मध्यप्रदेशराज्य

बिना RTO टैक्स छूट के शुरू हुआ ग्वालियर व्यापार मेला

25 दिसंबर को देश के गृहमंत्री अमित शाह के हाथों ऐतिहासिक ग्वालियर व्यापार मेले का भव्य शुभारंभ तो हो गया, लेकिन मेले की पहचान माने जाने वाले ऑटोमोबाइल सेक्टर की आरटीओ टैक्स छूट अब तक सस्पेंस में फंसी हुई है। हर साल मिलने वाली इस छूट का नोटिफिकेशन जारी न होना न सिर्फ व्यापारियों, बल्कि आम जनता की उम्मीदों पर भी पानी फेरता नजर आ रहा है।

121 साल की परंपरा, फिर भी अनदेखी?

ग्वालियर व्यापार मेला सिर्फ एक कारोबारी आयोजन नहीं, बल्कि मध्यप्रदेश की सांस्कृतिक और आर्थिक पहचान है। वाहनों पर मिलने वाली आरटीओ टैक्स छूट ही वह वजह है, जो हर साल प्रदेशभर से लोगों को ग्वालियर खींच लाती है।

लेकिन इस बार हालात अलग हैं—

मेला शुरू
शोरूम सजे
ग्राहक तैयार
टैक्स छूट गायब

ऑटोमोबाइल सेक्टर की रफ्तार थमी

नोटिफिकेशन न होने से ऑटोमोबाइल कारोबारी न तो पूरी तैयारी कर पा रहे हैं और न ही ग्राहकों को आकर्षक ऑफर दे पा रहे हैं।

नतीजा— मेले की रौनक फीकी पड़ने का खतरा।

सरकार पर उठे सवाल

कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के राष्ट्रीय पदाधिकारी भूपेंद्र जैन ने सरकार के रवैये पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।

उनका आरोप है कि –

उज्जैन के मार्च मेले को चमकाने के चक्कर में ग्वालियर के ऐतिहासिक मेले की उपेक्षा की जा रही है।

भूपेंद्र जैन का कहना है कि आरटीओ टैक्स छूट का फायदा व्यापारियों से ज्यादा आम जनता को मिलता है, लेकिन सरकार की चुप्पी से लोगों की उम्मीदें टूट रही हैं।

मुलाकातें हुईं, नतीजा शून्य

व्यापारियों का दावा है कि इस मुद्दे को लेकर

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से भी मुलाकात की गई, लेकिन अब तक कोई ठोस फैसला सामने नहीं आया। सार्वजनिक मंचों पर सवालों का अनसुना होना व्यापारिक वर्ग की नाराजगी और बढ़ा रहा है।

कैबिनेट बैठक से जगी उम्मीद

ऑटोमोबाइल सेक्टर अध्यक्ष पपी समाधिया के मुताबिक, प्रभारी मंत्री के साथ बैठक में आश्वासन मिला है कि –

“मुख्यमंत्री से चर्चा कर आगामी कैबिनेट बैठक में आरटीओ टैक्स छूट का प्रस्ताव रखा जाएगा।”

अब पूरे प्रदेश की नजरें राज्य सरकार की कैबिनेट बैठक पर टिकी हैं।

राजनीतिक उपेक्षा या प्रशासनिक लापरवाही?

स्थानीय गुटबाजी से पहले ही जूझ रहा ग्वालियर व्यापार मेला, अगर प्रदेश स्तर पर भी उपेक्षा का शिकार हुआ, तो 121 साल पुरानी इस ऐतिहासिक परंपरा के अस्तित्व पर सवाल उठना तय है।

अब फैसला सरकार के हाथ

मेला शुरू हो चुका है, लेकिन आधी-अधूरी तैयारियों के साथ।

अब देखना यह होगा कि –

सरकार समय रहते नोटिफिकेशन जारी करती है या ग्वालियर व्यापार मेला इंतजार की भेंट चढ़ जाता है

क्योंकि यह मेला सिर्फ व्यापार का नहीं, प्रदेश की आम जनता की उम्मीदों का प्रतीक है।

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