BCCI के दरवाजे से खाली हाथ लौटे विराट कोहली, कमेटी ने कहा- ‘नहीं है आपकी जगह’

विराट कोहली ने 12 मई को टेस्ट प्रारूप से संन्यास की घोषणा करके क्रिकेट जगत को हैरान कर दिया। कोहली के अचानक टेस्ट क्रिकेट से संन्यास का प्रमुख कारण सामने नहीं आया। बीसीसीआई और चयन समिति भी ‘किंग’ के फैसले से भौंचक्के हैं।
भारतीय टीम के इंग्लैंड के प्रमुख दौरे से पहले कोहली के टेस्ट संन्यास ने खबरों का बाजार गर्म कर रखा है। उनके संन्यास पर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। पूर्व भारतीय क्रिकेटर मोहम्मद कैफ ने दावा किया कि विराट कोहली इंग्लैंड सीरीज खेलना चाहते थे, लेकिन अजीत अगरकर की अध्यक्षता वाली चयन समिति से उन्हें समर्थन नहीं मिला।
मोहम्मद कैफ ने क्या कहा
मेरे ख्याल से विराट कोहली टेस्ट क्रिकेट खेलना जारी रखना चाहते थे। बीसीसीआई में कुछ आंतरिक बातें जरूर हुई हैं। चयनकर्ताओं ने उनके पिछले 5-6 साल के फॉर्म का हवाला दिया और उन्हें कहा गया कि टीम में उनकी जगह अब नहीं बची है। हमें कभी नहीं पता चलेगा कि हुआ क्या है? इसका अंदाजा लगाना बहुत मुश्किल है कि पर्दे के पीछे क्या हुआ है।
कैफ के हवाले से एनडीटीवी ने कहा, ‘आखिरी मिनट में फैसला लिया गया। वो तो रणजी ट्रॉफी का मैच भी खेले, जिससे निश्चित ही समझ आता है कि वो आगामी टेस्ट सीरीज में खेलना चाहते थे। कोहली के संन्यास का फैसला पिछले कुछ सप्ताहों में लिया गया। उन्हें शायद वैसा समर्थन नहीं मिला जैसा बीसीसीआई और चयनकर्ताओं से चाहते थे।’
रन बनाने की दिखी जल्दबाजी
36 साल के कोहली का पिछले पांच साल में फॉर्म अच्छा नहीं रहा है। उन्होंने 68 पारियों में 2028 रन बनाए, जिसमें तीन शतक शामिल हैं। कोहली की औसत गिरकर 46 पर पहुंच गई। कोहली ने ऑस्ट्रेलिया दौरे पर पर्थ टेस्ट में शतक जड़कर फॉर्म में वापसी की उम्मीदें जरूर जगाई।
हालांकि, अगले मैचों में उनका प्रदर्शन खराब रहा और वो केवल 90 रन बना सके। भारत को बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में 1-3 की शिकस्त झेलनी पड़ी थी। कैफ का मानना है कि ऑस्ट्रेलिया में कोहली की सोच से लगा था कि टेस्ट प्रारूप से उनका मन भर गया है।
धैर्य की कमी
कैफ ने कहा, ‘बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 2024-25 में कोहली रन बनाने की जल्दबाजी में दिखे। आप घंटों बाहर रहो और टेस्ट क्रिकेट में बस जाते हो, जो वो पहले कर चुके हैं। मगर लगातार बल्ले का बाहरी किनारा लगना, चाहे ड्राइव खेले या कुछ और तो मुझे लगा कि उनमें धैर्य की कमी है।’उन्होंने आगे कहा, ‘हो सकता है कि कोहली सोच रहे हो कि अपने आखिरी चरण में हैं। ऐसे में शतक जमाने का क्या फायदा। पहले वो अलग तरह का धैर्य दिखाते थे, गेंद छोड़ते थे, अपना समय लेते थे। गेंदबाज को थकाते थे और फिर उन पर हावी होते थे। मगर ऑस्ट्रेलिया में ऐसा देखने को नहीं मिला। स्लिप में एक ही तरह आउट होने से लगा कि वो क्रीज में ज्यादा समय बिताने को तैयार नहीं थे। बीसीसीआई से बातचीत और आत्म-एहसास के कारण शायद वो इस फैसले पर पहुंचे।’