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सीडीएस चौहान ने कहा भविष्य में परमाणु और जैविक हमलों के खिलाफ तैयार रहना जरूरी

सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने कहा है कि हमें भविष्य में परमाणु और जैविक खतरों के खिलाफ तैयार रहना होगा। नई दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर में सैन्य नर्सिंग सेवा के 100वें स्थापना दिवस के अवसर पर दिए अपने संबोधन में सीडीएस चौहान ने कहा कि आज के डेटा-केंद्रित युद्ध के युग में, जहां सूचना तक पहुंच, दुश्मन को हम पर बढ़त दिला सकती है, वहां चिकित्सा डेटा की भूमिका भी बेहद अहम है।

चिकित्सा डेटा की सुरक्षा बेहद अहम
सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने कहा ‘भारतीय डीएनए बेहद खास है। हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली अलग-अलग वातावरण या संक्रमणों के प्रति अलग-अलग प्रतिक्रिया करती है। ऐसे में व्यक्तिगत चिकित्सा डेटा की सुरक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है और इसमें केस हिस्ट्री, रिपोर्ट और चिकित्सा स्वास्थ्य रिकॉर्ड आदि शामिल हैं। परिचालन डेटा, स्वास्थ्य पैटर्न से संबंधित तैनाती, निकासी योजनाओं को भी लीक से सुरक्षित रखने की जरूरत है। हालांकि डेटा सुरक्षा और डेटा संरक्षण सीधे तौर पर एमएनएस (मिलिट्री नर्सिंग सर्विस) की जिम्मेदारी नहीं है, लेकिन आपको इन सभी प्रकार की चुनौतियों के बारे में पता होना चाहिए।

परमाणु और जैविक हमले से बचाव की तैयारी जरूरी
सीडीएस चौहान ने कहा कि ‘हमारी नर्सों के प्रशिक्षण में भविष्य में आने वाली चुनौतियों को ध्यान में रखना होगा। कोविड महामारी के दौरान दुनिया कठिन दौर से गुजरी। मेरे विचार से, जैविक खतरे, चाहे वे मानव निर्मित हों, आकस्मिक हों या प्राकृतिक, भविष्य में बढ़ने की आशंका है। ऐसे खतरों से बचाव और संक्रमित लोगों के इलाज के लिए हमें अलग उपचार प्रोटोकॉल की जरूरत होती है। हमें भविष्य में इसके लिए तैयार रहना चाहिए।’

उन्होंने कहा, ‘ऑपरेशन सिंदूर के बाद, हमारे प्रधानमंत्री ने कहा है कि भारत परमाणु ब्लैकमेलिंग से नहीं डरेगा। हमारे विचार से परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की संभावना बहुत कम है, फिर भी समझदारी इसमें है कि हम इससे बचाव की तैयारी करें। रेडियोलॉजिकल खतरे से बचाव के लिए अलग प्रोटोकॉल की जरूरत होती है और यह हमारे प्रशिक्षण का हिस्सा होना चाहिए। परमाणु खतरों के खिलाफ तैयारी इससे बचाव में योगदान करती है। मुझे लगता है कि यह महत्वपूर्ण है।

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