Cryptocurrency ने भर दिया सरकारी खजाना

भारत में अब 10 करोड़ से ज्यादा क्रिप्टोकरेंसी इन्वेस्टर हो गए हैं। ये संख्या स्टॉक मार्केट निवेशकों से थोड़ी ही कम है। ऐतिहासिक तौर पर कई क्रिप्टोकरेंसी का रिटर्न अच्छा रहा है, जिसके चलते लोग इस तरफ आकर्षित हुए हैं। मगर ये भी सच है कि क्रिप्टोकरेंसी में उतार-चढ़ाव और अनरेगुलेटेड होने की वजह से काफी रिस्क भी हैं।
क्रिप्टो में इंवेस्ट करके जितना पैसा निवेशक बनाते हैं, उसमें से एक हिस्सा सरकार के पास टैक्स के रूप में जाता है। क्रिप्टोकरेंसी पर टैक्स से सरकार को अच्छा-खासा रेवेन्यू मिलता है।
भर गया सरकारी खजाना
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने सोमवार को संसद में बताया कि सरकार ने 2024-25 (अप्रैल-मार्च) के दौरान क्रिप्टोकरेंसी और दूसरे वर्चुअल डिजिटल एसेट्स से जुड़े ट्रांजैक्शन पर टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स (TDS) के रूप में ₹512 करोड़ कलेक्ट किए।
गौरतलब है कि सरकार क्रिप्टोकरेंसी ट्रांजैक्शन से कमाए गए प्रॉफिट पर फ्लैट 30% टैक्स लगाती है। इसके अलावा, जब भी कोई डिजिटल एसेट खरीदा या बेचा जाता है, तो ट्रांजैक्शन वैल्यू पर अलग से 1% TDS भी लगता है।
ट्रांजैक्शन ट्रैक करने में मदद
बताया जाता है कि 1% TDS से टैक्स डिपार्टमेंट को ट्रांजैक्शन ट्रैक करने में मदद मिलती है, जबकि 30% टैक्स सिर्फ उनसे हुए मुनाफे पर लगता है। लोकसभा में किए गए एक सवाल के लिखित जवाब में चौधरी ने बताया कि क्रिप्टोकरेंसी या दूसरे वर्चुअल डिजिटल एसेट्स से जुड़े ट्रांजैक्शन पर टीडीएस के जरिए सरकार को प्राप्त हुए रेवेन्यू में 41% की बढ़ोतरी हुई, जो कि FY24 में ₹363 करोड़ रुपये था।
ये राज्य सबसे ज्यादा एक्टिव
आंकड़ों के अनुसार सबसे ज्यादा क्रिप्टोकरेंसी एक्टिविटी वाले भारतीय राज्यों में, महाराष्ट्र और कर्नाटक हैं, जिनमें कुल मिलाकर 80% से ज्यादा क्रिप्टो ट्रांजैक्शन हुए। वहीं इन दोनों स्टेट्स में राज्य-वार TDS कलेक्शन क्रमशः ₹2.93 अरब और ₹1.34 अरब रहा।
भारत में क्रिप्टोकरेंसी रेगुलेटेड है या नहीं
सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) क्रिप्टोकरेंसी को लीगल टेंडर नहीं मानते। इसके बजाय वे इसे “वर्चुअल डिजिटल एसेट्स” मानते हैं। हालांकि सरकार ने क्रिप्टो पर बैन नहीं लगाया है। लेकिन यह अभी तक अनरेगुलेटेड है।


