किसानों के रेल ट्रैक पर बैठे होने के कारण रविवार को भी अंबाला मंडल और बीकानेर मंडल से होकर गुजरने वाली 144 ट्रेनों का संचालन प्रभावित रहा। रेलवे ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए 71 ट्रेनों को पूर्ण तौर पर रद्द कर दिया, जबकि 62 ट्रेनों को बदले मार्ग से चलाया गया। पांच को बीच रास्ते में रद्द करना पड़ा तो छह को बीच रास्ते से वापस संचालित किया गया।
पंजाब-हरियाणा की सीमा पर स्थित शंभू बॉर्डर से लगे शंभू रेलवे स्टेशन पर संयुक्त किसान मोर्चा गैर राजनीतिक और किसान मजदूर मोर्चा का रेलवे ट्रैक पर धरना जारी है। वहीं आज जींद के खटकड़ गांव में किसानों की महापंचायत है। किसान नेताओं ने कहा कि सोमवार को होने वाली महापंचायत में बड़े फैसले लिए जाएंगे। इसके चलते हरियाणा पुलिस प्रशासन अलर्ट मोड पर है।
माना जा रहा है कि किसान नेता चुनाव से पहले हरियाणा को आंदोलन का केंद्र बनाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। इसी कारण से ही महापंचायत के लिए जींद का खटकड़ गांव चुना गया है।
किसान नेताओं की रिहाई की करेंगे मांग
खटकड़ गांव में किसानों की महापंचायत के लिए तैयारियां पूरी हैं। किसान आंदोलन 2.0 के दौरान पुलिस ने मामला दर्ज कर कई किसान नेताओं को गिरफ्तार किया था। इनमें से तीन किसान नेता अब भी जेल में हैं। गांव खटकड़ निवासी युवा किसान नेता अनीष खटकड़ जींद जेल में अनशन रखे हुए हैं। वे एक महीने से ज्यादा समय से जेल में हैं। इससे पहले तीन किसान नेताओं को पुलिस ने जमानत पर छोड़ दिया था, लेकिन अनीष खटकड़ को जमानत नहीं मिल रही है। खटकड़ गांव में आज इसी को लेकर महापंचायत होगी।
महापंचायत के आयोजक खटकड़ टोल कमेटी सदस्य एवं संयुक्त किसान मोर्चा सदस्य भूपेंद्र जागलान, कैप्टन वेदप्रकाश बरसोला, हरिकेश काब्रछा ने कहा कि महापंचायत लगभग 12 बजे शुरू होगी और इसमें कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय लिया जा सकता है। सरकार बेवजह किसानों को परेशान कर रही है। जेल में अनीष खटकड़ से किसी को मिलने नहीं दिया जा रहा है तथा उसके लगातार बिगड़ते स्वास्थ्य को लेकर भी जेल प्रशासन चिंतित नहीं है। इस महापंचायत में संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीति) और किसान मजदूर मोर्चा के नेता सरवन सिंह पंधेर, जगजीत सिंह डल्लेवाल, लखविंदर सिंह सिरसा समेत अनेक बड़े किसान नेता आएंगे।
किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि सरकार किसी भी गलतफहमी में न रहे। हमारी महिलाएं इस लड़ाई में हमारे साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी हैं। अब जब फसल की कटाई का समय है, जहां किसान अपने-अपने खेतों में कटाई के लिए गए हैं, वहीं महिलाओं का आकर मोर्चा संभालना इस बात का प्रतीत है कि संघर्ष जितना मर्जी लंबे समय तक चले, किसान पीछे हटने वाले नहीं हैं।