परनीत कौर 1999 में पटियाला से लोकसभा चुनाव जीती थीं और इसके बाद 2004, 2009 और 2019 में वे फिर से चुनी गईं। इन चुनावों को मोती महल के सियासी भविष्य के लिए काफी अहम माना जा रहा था, लेकिन अब इस हार ने सवालिया निशान लगा दिया है।
पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के कारण पंजाब की राजनीति की धुरी रहे पटियाला के शाही परिवार का सियासी भविष्य खतरे में है। बढ़ती उम्र व स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों के चलते कैप्टन अमरिंदर सिंह पहले ही सक्रिय राजनीति से दूरी बना चुके हैं। अब उनकी पत्नी 79 साल की परनीत कौर भी पटियाला सीट से लोकसभा चुनाव हार गई हैं।
चार बार यहां से सांसद रह चुकी परनीत कौर को एक मजबूत दावेदार माना जा रहा था। खास बात यह रही कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली भी परनीत कौर के काम नहीं आ सकी। करीब 20 सालों के बाद देश के प्रधानमंत्री पटियाला आए थे और उन्होंने सिखों व पंजाब के साथ भावनात्मक नाता जोड़ते हुए वोटरों से परनीत कौर के हक में वोटें डालने की अपील की थी। गौरतलब है कि परनीत के बेटे रणइंद्र सिंह भी राजनीति में सरगर्म नहीं हैं। हालांकि बेटी जयइंद्र कौर भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष हैं। लेकिन आने वाले समय में वह अपने परिवार की राजनीतिक विरासत को कितना आगे ले जा पाती हैं, तो देखने वाली बात रहेगी।
सक्रिय राजनीति से दूर हुए कैप्टन
कैप्टन अमरिंदर सिंह दो बार पंजाब के मुख्यमंत्री रहे हैं। 2021 में कांग्रेस की ओर सीएम पद से हटाने के बाद कैप्टन ने पार्टी छोड़ दी थी। बाद में उन्होंने अपनी पार्टी बनाई और 2022 के विधानसभा चुनावों में उतरे। लेकिन कैप्टन अपनी सीट भी बचा नहीं सके थे और बुरी तरह से चुनाव हार गए थे। इसके बाद कैप्टन ने भाजपा ज्वाइन कर ली थी। पिछले कुछ समय से कैप्टन ने बढ़ती उम्र व स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के चलते सक्रिय राजनीति से दूरी बना रखी है। वह सोशल मीडिया तक पर एक्टिव नहीं है। यहां तक कि वह पटियाला में अपनी पत्नी परनीत कौर के चुनाव प्रचार के लिए भी नहीं पहुंचे। जबकि हर चुनावों में कैप्टन पटियाला में दो से तीन बड़ी रैलियां परनीत के हक में करते थे। पीएम नरेंद्र मोदी की रैली से भी कैप्टन गैरहाजिर रहे। अब कैप्टन की पत्नी परनीत कौर भी पटियाला सीट से लोकसभा चुनाव हार गई हैं। परनीत तीसरे नंबर पर रही हैं।
वोटरों में था रोष
पटियाला के वोटरों में परनीत कौर को लेकर खास तौर से इस बात से रोष रहा कि वह चार बार यहां की सांसद रहीं, लेकिन कोई भी बड़ा प्रोजेक्ट पटियाला के लिए नहीं लाईं। घग्गर दरिया की मार से आए मानसून के सीजन में किसानों की फसलें तबाह हो जाती हैं, लेकिन दावों के बावजूद प्रोजेक्ट शुरू नहीं हो सका। पटियाला में कोई बड़ी इंडस्ट्री नहीं लग सकी, जिससे युवाओं को रोजगार के अवसर मिलते।
दल-बदलुओं को लोगों ने नकारा : प्रो. बराड़
पंजाबी यूनिवर्सिटी से पॉलिटिकल साइंस विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर गुरप्रीत सिंह बराड़ के मुताबिक भाजपा का पंजाब में आधार कम है। ऊपर से किसानों के विरोध ने भी नुकसान पहुंचाया। लोगों ने दल बदलने वाले उम्मीदवारों को भी नकारा है।