कैदी ने घर की मरम्मत के लिए आपातकालीन पैरोल मांगी थी। पंजाब सरकार ने आचार संहिता की बात कहकर इनकार कर दिया था जिसके बाद उसने हाईकोर्ट में याचिका लगाई जिसके बाद कोर्ट ने सरकार पर जुर्माना लगा दिया।
घर की मरम्मत के लिए पैरोल से इन्कार के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को जमकर फटकार लगाई है।
हाईकोर्ट ने कहा कि पैरोल वैधानिक अधिकार है और इसके लिए क्यों कैदियों को बार-बार अदालत आने को मजबूर किया जा रहा है। पंजाब सरकार को कानूनी दायित्वों को पूरा करने में विफल मानते हुए हाईकोर्ट ने 50 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया है।
याचिका दाखिल करते हुए पटियाला की सेंट्रल जेल में मौजूद कैदी ने हाईकोर्ट को बताया कि उसने घर की मरम्मत के लिए आपातकालीन पैरोल की मांग की थी। सरकार ने उसके आवेदन को बिना गौर किए ही अस्वीकार कर दिया। याचिका पर पंजाब सरकार ने बताया कि भारतीय चुनाव आयोग द्वारा जारी आदर्श आचार संहिता के दौरान कैदियों को पैरोल पर प्रतिबंध के चलते याची को यह लाभ नहीं दिया जा सका।
हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई दस्तावेज पेश नहीं किया गया जिसमें भारतीय चुनाव आयोग ने आचार संहिता के दौरान पैरोल पर रोक लगाई हो। मौजूदा मामले में सरकार अपने वैधानिक दायित्वों को पूरा करने में विफल रही है। इसी के चलते याची को अदालत का दरवाजा खटखटाने को मजबूर होना पड़ा। न्यायालय पर पहले ही मामलों का बोझ है और ऐसे में इस कृत्य के चलते एक और मामला अनावश्यक रूप से आ गया। सरकार का रवैया न तो याची के प्रति और न अदालत के प्रति उचित था। हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार पर पचास हजार का जुर्माना लगाते हुए दोषी अधिकारी से यह राशि वसूल करने की सरकार को छूट दी है।