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पिता ने बनाया बेटी को स्टार, दोहरे शतक से पहले पापा से की थी ये बात

रोहतक की बेटी ने सबसे तेज दोहरा शतक बनाकर हरियाणा का मान बढ़ाया है। उन्होंने स्मृति मंधाना के साथ पहले विकेट के लिए 292 रन की यादगार साझेदारी की। यह पिता की तपस्या और बेटी की मेहनत का रिजल्ट आया। महज 15 साल की उम्र में शैफाली ने भारतीय महिला टी20 क्रिकेट टीम में जगह बना ली थी। जून, 2021 आते-आते वह महिला क्रिकेट के तीनों फार्मेट में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व करने वाली सबसे कम उम्र की खिलाड़ी बन गई। शुरूआत में जब अभ्यास के दौरान शैफाली का बल्ला खराब हुआ तो पिता संजीव वर्मा ने स्कूटर उठाया और बेटी के लिए बल्ले लेने रोहतक मेरठ निकल गए। वहीं जब शैफाली ने टेस्ट मैच से पहले अपने पापा से बात की तो उन्होंने उनको टेस्ट मैच में अच्छी ओपनिंग का सबसे अच्छा फार्मूला बताया। इसके बाद बेटी का फोन आया तो पिता की आंखें खुशी के आंसुओं से नम थी। आगे स्टोरी में पढ़िये कैसे पिता ने शैफाली को स्टार बनाया और टेस्ट मैच से पहले पापा और बेटी की क्या बात हुई…

भारतीय महिला क्रिकेट टीम की तूफानी बल्लेबाज शैफाली वर्मा ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट मैच से पहले वीरवार को अपने प्रथम प्रशिक्षक यानी पापा को फोन लगाया। बेटी ने पूछा कि टेस्ट मैच में अच्छी ओपनिंग का सबसे अच्छा फार्मूला उनकी नजर में क्या है। पापा ने कहा- बेटी तू किसी से कमजोर नहीं है, बस अपने ओरिजिनल शॉट्स खेलना। बेटी ने पापा की सीख को बल्ले में उतारा और बढ़े मनोबल के साथ शुक्रवार को चेन्नई के चेपक स्टेडियम में 23 चौके और 8 छक्कों के दम पर उसने महिला क्रिकेट के इतिहास का सबसे तेज दोहरा शतक (194 गेंद पर 200 रन) लगा दिया। रन आउट होने से पहले उसने महज 197 गेंद पर 205 रन बना लिए थे। शैफाली ने स्मृति मंधाना के साथ पहले विकेट के लिए महज 52 ओवर में 292 रन की साझेदारी की है, जो टेस्ट क्रिकेट में यादगार पारी बन गई। इतनी बड़ी सफलता पाने के बाद शुक्रवार शाम शैफाली ने फोन पर जब अपने पापा संजीव वर्मा से बात की तो उनकी आंखों में खुशी के आंसू आ गए।

शैफाली के घर बधाई देने पहुंचे प्रशंसक
बेटी शैफाली वर्मा ने टेस्ट क्रिकेट में इतिहास रचने के बाद अपने सबसे बड़े प्रशंसक यानी पापा संजीव वर्मा को शुक्रवार शाम को फोन किया तो पूरा परिवार उसकी खुशी में शामिल हो गया। पिता ने बेटी की सफलता का श्रेय श्रीराम नारायण क्रिकेट अकादमी के अश्वनी शर्मा को दिया, जो शैफाली के कोच हैं। शैफाली के घर देर शाम तक प्रशंसक बधाई देने आते रहे।

यहां से शुरू हुआ था सफर
करीब 10 बरस पहले की बात है। 10 साल की बिटिया शैफाली वर्मा रोहतक के वैश्य शिक्षण संस्थान के मैदान में अल सुबह क्रिकेट की प्रैक्टिस कर रही थी। उसके पिता खुद मैदान पर खड़े होकर बारीकियां समझा रहे थे। प्रैक्टिस खत्म हुई तो बच्ची ने खराब हो गया बल्ला दिखाता हुए कहा, पापा इस बल्ले से गेंद कैसे बाउंड्री के पार जाएगी। खुद क्रिकेटर रहे पापा ने बेटी के आंखों के सपने पढ़ लिए। रोहतक की दुकानों में ब्रांडेड और क्वालिटी का बल्ला नहीं मिला तो उन्होंने स्कूटर का मुंह मेरठ की ओर मोड़ दिया। शाम को वह जब घर लौटे तो उनके हाथ में ब्रांडेड छह बल्ले थे। पापा से मिले उन बल्लों से शुरू हुई शैफाली की उड़ान आज भारतीय महिला क्रिकेट के आसमान पर रिकॉर्ड के कीर्तिमान बना रही है। बेटी को चमकता सितारा बनाने के लिए लगातार तपस्या करने वाले यह पिता हैं संजीव वर्मा। 

रोहतक की सुनार गली में सराफा का काम करने वाले संजीव जब बेटी की सफलता की कहानी बताते हैं तो कई बार भावुक हो जाते हैं। वह खुद अच्छे क्रिकेटर रहे। लेकिन, मौका नहीं मिला। बेटी के सपने के संग खुद को जोड़ा तब रोहतक में लड़कियों के लिए अलग से प्रैक्टिस की सुविधा नहीं थी। लड़कों के संग प्रैक्टिस कराने के लिए बच्ची के बाल बाॅयकट करवाने पड़े। रोज सुबह खुद शैफाली को लेकर मैदान पर जाते। प्रैक्टिस और ट्रेनिंग के बाद बेटी को कमजोरियां दूर करने और बेहतर खेल की बारीकियां बताते। उन्होंने बेटी को सचिन तेंदुलकर का स्टाइल दिखाया तो बेटी ने मास्टर ब्लास्टर को आदर्श मानकर प्रैक्टिस का तरीका सुधारा।

पिता की तपस्या का फल
पिता की तपस्या और बेटी की मेहनत का रिजल्ट आया। महज 15 साल की उम्र में शैफाली ने भारतीय महिला टी20 क्रिकेट टीम में जगह बना ली। जून, 2021 आते-आते वह महिला क्रिकेट के तीनों फार्मेट में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व करने वाली सबसे कम उम्र की खिलाड़ी बन गई। अक्तूबर 2022 में टी20 क्रिकेट में 1000 रन पूरे करने वाली वह सबसे युवा खिलाड़ी बन गई। साल 2023 में उसकी कप्तानी में भारत ने अंडर-19 महिला विश्व कप (टी20) जीता। साल 2023 में डब्ल्यूपीएल में उसे दिल्ली कैपिटल्स ने 2 करोड़ की बोली लगाकर टीम में शामिल किया। महिला क्रिकेट के ओलंपिक मुकाबले में पहला अर्धशतक बनाने का रिकॉर्ड भी शैफाली के नाम है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सबसे कम उम्र में अर्धशतक लगाकर शैफाली ने अपने आदर्श मास्टर ब्लास्टर का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया।

शैफाली को परिवार से बहुत लगाव है। इतना नाम कमाने के बाद भी वह हर बड़े मैच से पहले फोन पर जिद करती है कि उसका प्रदर्शन देखने के लिए मैं स्टेडियम में मौजूद रहूं। जहां तक संभव होता है मैं उसके मैच देखने जाता हूं। मैच के बाद उसे सुझाव भी देता हूं। शैफाली जैसी बेटी का पिता होना मैं सौभाग्य मानता हूं। -संजीव वर्मा, रोहतक

शैफाली भारत की दूसरी क्रिकेटर हैं, जिन्होंने महिला टेस्ट क्रिकेट में दोहरा शतक लगाया है। इससे पहले मिताली राज ने साल 2002 में इंग्लैंड के खिलाफ 407 गेंद में 214 रन बनाए थे। शैफाली का बल्ला चला तो देश के खाते में भी रिकॉर्ड बरसने लगे हैं। महिला क्रिकेट के इतिहास में पहली बार किसी टेस्ट मैच में एक ही टीम के द्वारा एक दिन में 500 से ज्यादा रन बनाए गए हैं। 1935 में इंग्लैंड की टीम ने न्यूजीलैंड के खिलाफ दो विकेट पर 431 रन बनाए थे, जो एक दिन पहले तक रिकॉर्ड था। शुक्रवार को चार विकेट खोकर भारत ने 525 रन बनाकर यह रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है।             

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