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Sachin Tendulkar ने अपने फेयरवेल मैच को लेकर किया बड़ा खुलासा

महान बल्‍लेबाज सचिन तेंदुलकर का संन्‍यास और फेयरवेल मैच क्रिकेट इतिहास के सबसे भावुक पलों में से एक रहा। तेंदुलकर ने 2013 में वेस्‍टइंडीज के खिलाफ मुंबई के वानखेड़े स्‍टेडियम पर अपना विदाई मैच खेला था।

मास्‍टर ब्‍लास्‍टर का विदाई भाषण देते समय अपने आंसू रोकना, टीम के साथियों द्वारा कंधें पर बैठाकर मैदान का चक्‍कर लगाना, पिच को आखिरी बार जाकर इज्‍जत देना और अपने फिर अपने आंसू पोछते हुए ड्रेसिंग रूम चले जाना। यह पता होना कि दोबारा कभी भारतीय जर्सी पहने क्रिकेट नहीं खेल पाएंगे। इस व्‍यक्ति के लिए इतना सब बहुत कुछ था।

करीब 24 साल तेंदुलकर ने क्रिकेट के लिए जुनूनी भारतीय फैंस के दिलों पर राज किया और अचानक यह सब खत्‍म हो गया। तेंदुलकर ने 22 यार्ड की पिच पर खेल को अलविदा कह दिया। जब तेंदुलकर के संन्‍यास की घोषणा हुई तो भारतीय फैंस को पता था कि मुंबई के वानखेड़े स्‍टेडियम पर निर्णायक मुकाबला खेला जाएगा।

तेंदुलकर ने अपने आखिरी दो मैच कोलकाता व मुंबई जो कि उनके करियर के क्रमश: 199वें व 200वें टेस्‍ट थे। कोलकाता में तेंदुलकर केवल 10 रन बनाकर आउट हुए। अब सभी की निगाहें वानखेड़े पर टिकी थीं। मास्‍टर ब्‍लास्‍टर ने बताया कि उन्‍होंने बीसीसीआई से वानखेड़े स्‍टेडियम पर एक खास वजह से विदाई मैच आयोजित कराने की गुजारिश की थी।

सचिन तेंदुलकर ने बताया किस्‍सा
तेंदुलकर ने बताया कि उन्‍होंने अपनी मां रजनी तेंदुलकर के लिए वानखेड़े स्‍टेडियम पर मैच आयोजित करने की मांग की थी। तेंदुलकर ने वानखेड़े स्‍टेडियम की 50वीं सालगिरह पर बताया, ”सीरीज की घोषणा से पहले मैं बीसीसीआई अध्‍यक्ष एन श्रीनिवासन के संपर्क में था और मैंने एक गुजारिश की।”

उन्‍होंने कहा, ”मैंने कहा कि मैं चाहता हूं कि अपना आखिरी मैच मुंबई में एक कारण से खेलूं। इतने सालों में मेरी मां ने मुझे कभी क्रिकेट खेलते नहीं देखा। तब मेरी मां की हालत ऐसी नहीं थी कि वानखेड़े स्‍टेडियम के अलावा कहीं और जा सके।”

तेंदुलकर की शानदार पारी
वानखेड़े स्‍टेडियम पर तेंदुलकर की बल्‍लेबाजी आई और उन्‍होंने 74 रन की उम्‍दा पारी खेली। मास्‍टर ब्‍लास्‍टर भले ही शतक चूक गए हो, लेकिन फैंस को उनका पुराना अवतार देखने को मिला। सचिन के आउट होने पर सन्‍नाटा पसर गया। फिर तेंदुलकर ने जब अपना हेलमेट और बल्‍ला उठाकर फैंस का अभिवादन स्‍वीकार किया तो सचिन…सचिन के नारों से स्‍टेडियम गूंज उठा।

भावुकता का टेस्‍ट
तेंदुलकर ने बताया कि उनकी यात्रा को प्रसारणकर्ता ने बेहद मुश्किल बना दिया था। उन्‍होंने कहा, ”जब मेरी बल्‍लेबाजी आई, तब मैं सभी भावनाओं से लड़कर बल्‍लेबाजी करने उतरा। वेस्‍टइंडीज टीम ने काफी सम्‍मान दिया। सभी दर्शकों ने शानदार स्‍वागत किया। मेरी आंखें भीगी थी, लेकिन मुझे ध्‍यान रखना था। जब आखिरी ओवर आया तो मैंने अपनी मां का चेहरा मेगा स्‍क्रीन पर देखा। फिर उन्‍होंने अंजलि, मेरे बच्‍चों और परिवार के सदस्‍यों के चेहरे दिखाए।”
तेंदुलकर ने कहा, ”मुझे शक हुआ कि निर्देशक या कैमरामैन को निर्देश देने वाला प्रसारणकर्ता के पास वेस्‍टइंडीज का पासपोर्ट है। वो मेरी भावनाओं की मदद नहीं कर रहा था। क्‍योंकि वो वेस्‍टइंडीज के पक्ष में काम कर रहा था। वो मेरी भावनाओं से खेल रहा था।” तेंदुलकर ने किसी तरह खुद को संभालकर क्रीज पर समय बिताया और शान से अंतरराष्‍ट्रीय क्रिकेट से विदाई ली।

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