आरक्षित टिकट बुकिंग के बदले गए नियम,दलालों पर लगेगा अंकुश
पहली नवंबर से पैसेंजर ट्रेनों में एडवांस टिकट बुकिंग दो महीने पहले से करा सकेंगे। जबकि अभी तक यह पीरियड चार महीने का था, जिसे घटा दिया गया है। इससे यात्रियों को खासी राहत हो जाएगी तथा दलालों पर भी लगाम लगाने में मदद मिलेगी। दरअसल, रेलवे प्रशासन की ओर से ट्रेनों में एडवांस रिजर्वेशन पीरियड(एआरपी) दिया जाता है। जिसके खुलने पर यात्री अपनी योजना के अनुसार टिकटों की बुकिंग करवा लेते हैं। एआरपी में समय-समय पर यात्रियों की सुविधा के अनुसार बदलाव किए जाते रहे हैं। वहीं अब रेलवे बोर्ड ने एआरपी को घटा दिया है। पहले यह चार महीने यानी 120 दिन का होता था, जिसे घटाकर अब 60 दिन कर दिया गया है।
एआरपी घटाने से यात्रियों को खासी राहत हो जाएगी। रेलवे बोर्ड के डायरेक्टर पैसेंजर मार्केटिंग संजय मनोचा की ओर से इस बाबत आदेश जारी किया गया है। पहली नवंबर से एडवांस रिजर्वेशन पीरियड(एआरपी) घटाया जाएगा और ट्रेनों में टिकटों की एडवांस बुकिंग 60 दिन पहले की जा सकेगी। हालांकि, विदेशी नागरिकों के लिए 365 दिन पहले टिकट बुकिंग की सुविधा अभी भी जारी रहेगी। मनोचा ने बताया कि वर्ष 1981 से 1985 तक एआरपी 120 दिन थी। इसके बाद 1988 तक 90 दिन, फिर 1993 तक 60 दिन रही। इसी क्रम में 1995 में 45 दिन, 1998 तक 30 दिन, वर्ष 2007 तक 90 दिन, वर्ष 2008 तक 60 दिन, वर्ष 2012 तक 90 दिन, साल 2013 तक 120 दिन, वर्ष 2015 तक 60 व साल 2024 तक 120 दिन रही।
दलालों पर लगेगी लगाम
एआरपी घटा देने से दलालों पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी। रेलवे बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि चार महीने का एआरपी होने पर दलाल अधिकतर टिकटों की एडवांस बुकिंग कर लेते थे, जिसे मनमानी दरों पर यात्रियों को बेचा जाता था। अब दो महीने हो जाने से इस पर अंकुश लगाई जा सकेगी और यात्रियों के लिए टिकट बुकिंग आसान होगी। दलाल टिकटों की ब्लॉकिंग नहीं कर सकेंगे।
रेलवे का होगा नुकसान, यात्रियों को फायदा
एडवांस रिजर्वेशन पीरिएड चार महीने की जगह दो महीने होने से यात्रियों को भले ही फायदा हो, लेकिन रेलवे का नुकसान होगा। अभी चार महीने पहले टिकट बुक होने पर रेलवे को एडवांस में धनराशि मिल जाती थी, अब इसमें घटोत्तरी दर्ज होगी। मसलन, चार महीने पहले टिकट बुकिंग पर यात्रियों से एडवांस में सौ करोड़ रुपये मिलने पर रेलवे के पास फंड रहता था। फिर अधिकतर मामलों में एआरपी में बुक टिकट कैंसिल हो जाते थे, जिसका कैंसिलेशन चार्ज भी रेलवे को मिलता था।
21 प्रतिशत टिकट होते हैं कैंसिल, खाली रह जाती हैं सीटें
रेलवे अधिकारियों ने बताया कि एआरपी अधिक होने की वजह से सीटें भी खाली रह जाती हैं, जिससे रेलवे को राजस्व का नुकसान होता है। वर्तमान में करीब 21 प्रतिशत टिकट कैंसिल होते हैं तथा चार से पांच प्रतिशत पैसेंजर यात्रा नहीं करते, ऐसे में सीटें खाली रह जाती थीं और रेलवे को नुकसान होता था। अब इस पर अंकुश लग सकेगा।