
दिल्ली सरकार ने राजधानी में प्रशासनिक कार्यों को अधिक कुशल, सुगम और नागरिक केंद्रित बनाने की दिशा में एक नया निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में दिल्ली के मौजूदा 11 राजस्व जिलों का पुनर्गठन करते हुए 13 नए राजस्व जिलों के गठन को मंजूरी प्रदान की गई। यह निर्णय शासन को सरल, पारदर्शी और समन्वित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण सुधार माना जा रहा है।
जिलों की संख्या बदलने के साथ ही सरकार ने एसडीएम की संख्या 33 से बढ़ाकर 39 कर दी है। वहीं एसडीएम कार्यालयों की संख्या 22 से बढ़ाकर 39 कर दी है। सभी 13 जिलों में एक स्थान पर सभी सार्वजनिक सेवाओं के लिए मिनी सचिवालय बनाने के प्रस्ताव काे भी मंजूरी दे दी है। 15 दिनों के भीतर कैबिनेट के फैसले पर अधिसूचना जारी होगी।
इसी माह के अंत तक नई व्यवस्था को लागू कर दिया जाएगा। इस बदलाव पर प्रारंभिक बजट के तौर पर चालू वित्तीय वर्ष में 25 करोड़ रुपये की स्वीकृति दे दी गई है। माना जा रहा है कि यह सुधार लोगों के जीवन की सुगमता में सुधार करेगा, काम में तेजी आएगी और भूमि रिकॉर्ड, संपत्ति पंजीकरण, नागरिक सेवाओं और शिकायत निवारण में निर्बाध समन्वय सुनिश्चित करेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कि दिल्ली के प्रशासनिक ढांचे को मजबूत बनाने का यह निर्णय वर्षों से लंबित था, जिसे किसी भी सरकार ने निपटाने का प्रयास नहीं किया। हमारी सरकार ने मात्र 10 माह में इस लक्ष्य को पूरा कर दिखाया। यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सुशासन के विजन को धरातल पर उतारने का एक सशक्त उदाहरण है।
राजस्व जिलों और नगर निगम की सीमाएं अब एक जैसी होंगी
कैबिनेट के फैसले के अनुसार लंबे समय से दिल्ली के राजस्व जिलों की सीमाएं नगर निगम ज़ोन, नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) और दिल्ली छावनी बोर्ड की सीमाओं से मेल नहीं खाती थीं। इससे सेवा वितरण में देरी, शिकायतों में भ्रम, भूमि रिकार्ड प्रबंधन में कठिनाई और विभिन्न विभागों के क्षेत्रों में असमानता जैसी समस्याएं लगातार उत्पन्न होती थीं। अब यह समस्या दूर होगी।
13 जिले और 39 सब-डिविजन, सभी जिलों में मिनी सचिवालय
नए गठन के तहत 11 जिलों को बढ़ाकर 13 और 33 सब-डिविजन को बढ़ाकर 39 सब-डिविजन किया गया है। इससे अधिकारियों पर कार्यभार संतुलित होगा और नागरिकों को सेवाएं अधिक त्वरित जल्दी मिलेंगी। दिल्ली सरकार सभी 13 जिलों में आधुनिक, बहु-विभागीय ‘मिनी सचिवालय’ स्थापित करेगी, जहां नागरिकों को एक ही स्थान पर राजस्व कार्यालय, एसडीएम, एडीएम, तहसील, उप-पंजीयक कार्यालय समेत अनेक सेवाएं उपलब्ध होंगी। पुरानी दिल्ली व मध्य उत्तरी जिला के नाम से दो नए जिले बने हैं।
सब-रजिस्ट्रार कार्यालयों की संख्या 22 से बढ़कर 39 हुई
संपत्ति पंजीकरण को सुचारू और पारदर्शी बनाने के लिए सब-रजिस्ट्रार कार्यालयों की संख्या 22 से बढ़ाकर 39 की जा रही है। इन कार्यालयों की सीमाओं को भी सब-डिविजन के साथ पूरी तरह से मेल कराया जाएगा। इससे भूमि रिकार्ड प्रबंधन और डिजिटलीकरण में तेजी आएगी। नागरिकों को दूर-दूर जाकर पंजीकरण नहीं कराना पड़ेगा।
नए जिलों से नागरिकों को होगा ये लाभ
सेवाओं की पहुंच बढ़ेगी
प्रशासन नागरिकों के और करीब आएगा
शिकायत निवारण तेज होगा
अधिकारियों पर भार कम होगा
सीमाओं का भ्रम समाप्त होगा
नागरिकों को स्पष्ट रहेगा कि वे किस प्रशासनिक क्षेत्र में आते हैं
राजस्व विभाग, नगर निगम और अन्य एजेंसियों के बीच बेहतर तालमेल बनेगा
शहरी योजना, आपदा प्रबंधन और भूमि रिकार्ड प्रबंधन अधिक प्रभावी होगा





